जगाओ मत अँधेरा है , मुझे कुछ और सोने दो ।
मेरे टूटे हुए सपने , मुझे फिर से पिरोने दो ।
अब जागेंगे हम तब ही , यारों जब सहर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
टूटी हुई है नाव , और मंजिल अधूरी है ।
मगर जाना है हमको पार ,तो चलना जरूरी है ।
जो तू साथ दे मेरा , तो फिर आसां डगर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
मै अपना नाम गर , राम से रहमान धर लूँ तो ।
मन्दिर दूर है , मस्जिद में अपनी पूजा कर लूँ तो ।
क्या मेरे लिए बदली हुई , तेरी नजर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
हमे न इल्म था , वो दुश्मनी ऐसे निकालेगा ।
भड़े बाजार , मेरे प्यार को ऐसे उछालेगा ।
सुनो लगता है यूँ , अपनी कहानी भी अमर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
मुकद्दर में दीवानों के , लिखी तकदीर ने मुश्किल ,
ले - ले इम्तहां तू भी , अगर चाहे ऐ मेरे दिल ,
मेरे प्यार पे नफरत तुम्हारी , बेअसर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
प्यार के साथ हम , थोड़ा सा तकरार रख लेंगे ।
छाँव तन्हा न रखेंगे , धूप दो चार रख लेंगे ।
रहेंगे साथ दोनो , जिन्दगी अच्छी बसर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
मेरे टूटे हुए सपने , मुझे फिर से पिरोने दो ।
अब जागेंगे हम तब ही , यारों जब सहर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
टूटी हुई है नाव , और मंजिल अधूरी है ।
मगर जाना है हमको पार ,तो चलना जरूरी है ।
जो तू साथ दे मेरा , तो फिर आसां डगर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
मै अपना नाम गर , राम से रहमान धर लूँ तो ।
मन्दिर दूर है , मस्जिद में अपनी पूजा कर लूँ तो ।
क्या मेरे लिए बदली हुई , तेरी नजर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
हमे न इल्म था , वो दुश्मनी ऐसे निकालेगा ।
भड़े बाजार , मेरे प्यार को ऐसे उछालेगा ।
सुनो लगता है यूँ , अपनी कहानी भी अमर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
मुकद्दर में दीवानों के , लिखी तकदीर ने मुश्किल ,
ले - ले इम्तहां तू भी , अगर चाहे ऐ मेरे दिल ,
मेरे प्यार पे नफरत तुम्हारी , बेअसर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
प्यार के साथ हम , थोड़ा सा तकरार रख लेंगे ।
छाँव तन्हा न रखेंगे , धूप दो चार रख लेंगे ।
रहेंगे साथ दोनो , जिन्दगी अच्छी बसर होगी ।
हमे मालूम है ऐ जिन्दगी , फिर सुबह होगी ।।
No comments:
Post a Comment