मैंने कहा सुन ऐ ख़ुशी , मुझसे तेरी क्यूँ बनती नही ।
अनबन भी ऐसी क्या कहो , मैं हूँ कहीं तुम हो कहीं ।
उसने कहा ऐ नादान सुन , तूने कहा जो है सच नही ।
मैंने तुझे ढूंढा बहुत , तू ही कहीं मिलती नही ।
कलियाँ मुझे कल रोककर , फूलों का देती थी वास्ता ,
देखो बहारें आ गईं , गुलशन में तू क्यूँ रूकती नही ।
मौसम जरा नाराज था , कहने लगा यूँ रूठ कर ,
मैं तकता हूँ रस्ता तेरा , तू मेरी राहें तकती नही ।
मतलब यही आखिर में था , मेरा ही मैं ,मैं खो गई ,
निकली हूँ मैं तलाश में , मैं हूँ कहाँ, मैं ढूंढू कहीं ।
अनबन भी ऐसी क्या कहो , मैं हूँ कहीं तुम हो कहीं ।
उसने कहा ऐ नादान सुन , तूने कहा जो है सच नही ।
मैंने तुझे ढूंढा बहुत , तू ही कहीं मिलती नही ।
कलियाँ मुझे कल रोककर , फूलों का देती थी वास्ता ,
देखो बहारें आ गईं , गुलशन में तू क्यूँ रूकती नही ।
मौसम जरा नाराज था , कहने लगा यूँ रूठ कर ,
मैं तकता हूँ रस्ता तेरा , तू मेरी राहें तकती नही ।
मतलब यही आखिर में था , मेरा ही मैं ,मैं खो गई ,
निकली हूँ मैं तलाश में , मैं हूँ कहाँ, मैं ढूंढू कहीं ।
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