इक इश्क के गुनाह की , इतनी बड़ी सज़ा ,
बता ऐ जिन्दगी तेरी , आगे है क्या रज़ा ।
दिल ने कहा ऐ इश्क ,जान लेले दिल को छोड़ ,
क्यूँ कर के रखा कैद , मेरे दिल को बेवजा ।
या इश्क है बेदर्द या मेरा खुदा बहरा ,
सुनता ही नही है कोई , दिवानों की दुआ ।
बता ऐ जिन्दगी तेरी , आगे है क्या रज़ा ।
दिल ने कहा ऐ इश्क ,जान लेले दिल को छोड़ ,
क्यूँ कर के रखा कैद , मेरे दिल को बेवजा ।
या इश्क है बेदर्द या मेरा खुदा बहरा ,
सुनता ही नही है कोई , दिवानों की दुआ ।
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