वक्त के बदलाव का ,ये सिलसिला भी है ,
जिससे हुआ है प्यार ,उससे गिला भी है ।
मंजिल पे खड़ा हैं , जमात हैं हजारों की ,
वही , रस्ते में था तो , तन्हां चला भी है ।
चिंगारी ने जब चाहा है ,जला डाला आशियाँ ,
पर और जले उससे पहले , खुद जला भी है ।
हैं निम - करेले में , कडवाहटें जितनी ,
नजरें बदल के देखलो , उतना भला भी है ।
है राज अँधेरे औ , उजाले का बस इतना ,
जिसका उदय हुआ है , इकदिन ढला भी है ।
इंसान ने इंसान को ,धोखा दिया तो क्या ,
इंसान ने कई बार तो ,खुद को छला भी है ।
इतना न कर गुमान , वक्त किसका हुआ है ,
ये वफादार है जितना ,उतना बेवफा भी है ।
जिससे हुआ है प्यार ,उससे गिला भी है ।
मंजिल पे खड़ा हैं , जमात हैं हजारों की ,
वही , रस्ते में था तो , तन्हां चला भी है ।
चिंगारी ने जब चाहा है ,जला डाला आशियाँ ,
पर और जले उससे पहले , खुद जला भी है ।
हैं निम - करेले में , कडवाहटें जितनी ,
नजरें बदल के देखलो , उतना भला भी है ।
है राज अँधेरे औ , उजाले का बस इतना ,
जिसका उदय हुआ है , इकदिन ढला भी है ।
इंसान ने इंसान को ,धोखा दिया तो क्या ,
इंसान ने कई बार तो ,खुद को छला भी है ।
इतना न कर गुमान , वक्त किसका हुआ है ,
ये वफादार है जितना ,उतना बेवफा भी है ।
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