दर्द हुआ जब कम न दुआ से ,
बोला वो रो - रो के खुदा से ,
जीना यूँ मुश्किल न होता ,
गर सीने में दिल न होता ।
बोले खुदा उसका गम सुनके ,
खाब भला फिर कैसे बुनते ,
प्रेम -दया फिर कुछ ना होता ,
जीवन रस बिन बेरस होता ।
दुआ भला कैसे रंग लाती ,
दर्द न रहता , दवा न देते ,
ख़ुशी न होती , रंज न होता ,
दिल न होता ,खुदा न होते ।
बोला वो रो - रो के खुदा से ,
जीना यूँ मुश्किल न होता ,
गर सीने में दिल न होता ।
बोले खुदा उसका गम सुनके ,
खाब भला फिर कैसे बुनते ,
प्रेम -दया फिर कुछ ना होता ,
जीवन रस बिन बेरस होता ।
दुआ भला कैसे रंग लाती ,
दर्द न रहता , दवा न देते ,
ख़ुशी न होती , रंज न होता ,
दिल न होता ,खुदा न होते ।
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