तुम्हे जाना था तो जाते , बस इक बार कह देते ,
कसम इस दोस्ती की , मैं कभी आवाज ना देती ।
इशारे भी जो कर देते , न मैं कहती ठहर जाओ ,
न फिर मेरे बुलाने से , तुम्हे उलझन हुई होती ।
कसम इस दोस्ती की , मैं कभी आवाज ना देती ।
इशारे भी जो कर देते , न मैं कहती ठहर जाओ ,
न फिर मेरे बुलाने से , तुम्हे उलझन हुई होती ।
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