मेरे दिल से तेरे दिल का ,
इक रस्ता निकलता है ।
पहुंचता है नही, फिर भी ,
मुसाफिर रोज चलता है ।
मंजिल ना मिले जब तक ,
कहाँ हैं चैन इस दिल को ।
दिन के साथ उगता है ,
रात के साथ ढलता है ।
तुम्हारी आरजू में दिल मेरा ,
कल भी भटकता था ।
तुम्हारी आरजू में दिल मेरा ,
अब भी भटकता है ।
इक रस्ता निकलता है ।
पहुंचता है नही, फिर भी ,
मुसाफिर रोज चलता है ।
मंजिल ना मिले जब तक ,
कहाँ हैं चैन इस दिल को ।
दिन के साथ उगता है ,
रात के साथ ढलता है ।
तुम्हारी आरजू में दिल मेरा ,
कल भी भटकता था ।
तुम्हारी आरजू में दिल मेरा ,
अब भी भटकता है ।
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