कितनी ख्वाहिश , कितनी हसरत पालते दिल में रहें ,
उड़ने की उम्मीद थी जमीं से आसमान तक ।
उम्र भर चलते रहें , पहुंचे कहाँ आखिर में हम ,
कुछ अधूरे खाब लेके , राह से श्मशान तक ।
उड़ने की उम्मीद थी जमीं से आसमान तक ।
उम्र भर चलते रहें , पहुंचे कहाँ आखिर में हम ,
कुछ अधूरे खाब लेके , राह से श्मशान तक ।
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