तुममे और हममे बस इतना फर्क है ,
हम बोल के करते हैं ,तू चुपचाप करता है ।
हम हालात के मारे हैं ,और वक्त के बस में ,
तू एक -एक वक्त का ,इन्साफ करता है ।
हम चाहते हैं जब, मिलती नही ख़ुशी ,
तू चाहे जब ,खुशियों की बरसात करता है ।
हम अपनी गलतियों से ही ,इंसान रह गये ,
तू इसलिए खुदा बना की माफ़ करता है ।
हम बोल के करते हैं ,तू चुपचाप करता है ।
हम हालात के मारे हैं ,और वक्त के बस में ,
तू एक -एक वक्त का ,इन्साफ करता है ।
हम चाहते हैं जब, मिलती नही ख़ुशी ,
तू चाहे जब ,खुशियों की बरसात करता है ।
हम अपनी गलतियों से ही ,इंसान रह गये ,
तू इसलिए खुदा बना की माफ़ करता है ।
nice...
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