टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
ले चल हवा तू मुझको , जिस ओर हो ले जाना ।
तूफ़ान का मारा हूँ , किस्मत से मैं हारा हूँ ,
किसी डाल पे था कलतक , अब दरबदर पड़ा हूँ ,
मेरी ख्वाहिशें घरौंदा , मेरे ख़ाब आशियाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
न हिन्दू न मुसलमां हूँ , इक भूली दास्ताँ हूँ ,
सारा जहाँ है मेरा , पर मैं न किसी का हूँ ,
मजहब मेरी मुहब्बत , तबियत है आशिकाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
बारिश में भी जला मैं , पत्थर पे भी चला मैं ,
राहों में दिन गुजारा , दुश्वारी में पला मैं ,
मुझे याद बहुत आयें , गुजरा हुआ जमाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
मंजिल न जाने क्या हो , ठहराव कब कहाँ हो ,
किसको पता है कल का , है आज कल कहाँ हो ,
हम ना रहेंगे फिर भी , आएगा दिन सुहाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
ले चल हवा तू मुझको , जिस ओर हो ले जाना ।
तूफ़ान का मारा हूँ , किस्मत से मैं हारा हूँ ,
किसी डाल पे था कलतक , अब दरबदर पड़ा हूँ ,
मेरी ख्वाहिशें घरौंदा , मेरे ख़ाब आशियाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
न हिन्दू न मुसलमां हूँ , इक भूली दास्ताँ हूँ ,
सारा जहाँ है मेरा , पर मैं न किसी का हूँ ,
मजहब मेरी मुहब्बत , तबियत है आशिकाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
बारिश में भी जला मैं , पत्थर पे भी चला मैं ,
राहों में दिन गुजारा , दुश्वारी में पला मैं ,
मुझे याद बहुत आयें , गुजरा हुआ जमाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
मंजिल न जाने क्या हो , ठहराव कब कहाँ हो ,
किसको पता है कल का , है आज कल कहाँ हो ,
हम ना रहेंगे फिर भी , आएगा दिन सुहाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
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