रोज किनारों से टकराकर , हार कहाँ मानी है अब तक ,
प्यार में पागल साहिल के , लहरों का ये पागलपन देखो ।
उसी खाब को देख - देख के , रोज सुबह से शाम किया है ,
वही नही अब पूरा होगा , रहा अधूरा जीवन देखो ।
किस्मत से कब तक रुठेंगे , कब तक गिला करेंगे यूंही ,
वक्त अड़ा है साथ अड़े हम , खत्म न होता अनबन देखो ।
खतावार हम किसको बोले , दुनियां को या अपने दिल को ,
वर्षो में न सुलझी गुत्थी , कैसी उलझी उलझन देखो ।
उसी प्यार की आस में जाने , कितने मौसम बित गये हैं ,
बरसो ,अब तो बरसों बीते , सूना मन का आंगन देखो ।
इक- इक पल सदियों के जैसी , हर लम्हा काँटों के जैसा ,
दिवानी सी हालत मेरी , आ जाओ अब साजन देखो ।
प्यार में पागल साहिल के , लहरों का ये पागलपन देखो ।
उसी खाब को देख - देख के , रोज सुबह से शाम किया है ,
वही नही अब पूरा होगा , रहा अधूरा जीवन देखो ।
किस्मत से कब तक रुठेंगे , कब तक गिला करेंगे यूंही ,
वक्त अड़ा है साथ अड़े हम , खत्म न होता अनबन देखो ।
खतावार हम किसको बोले , दुनियां को या अपने दिल को ,
वर्षो में न सुलझी गुत्थी , कैसी उलझी उलझन देखो ।
उसी प्यार की आस में जाने , कितने मौसम बित गये हैं ,
बरसो ,अब तो बरसों बीते , सूना मन का आंगन देखो ।
इक- इक पल सदियों के जैसी , हर लम्हा काँटों के जैसा ,
दिवानी सी हालत मेरी , आ जाओ अब साजन देखो ।
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