Monday, December 31, 2012

नव वर्ष की शुभकामनायें

इन्तजार नये साल का होता नही कल तक ,
आज ही ले लीजिये शुभकामना सभी ।

खुशियाँ तलाश आपकी करती फिरे सदा  ,
मेरे दोस्तों से गम का न हो वास्ता कभी ।

नये साल में हर रंग आपको नसीब हो ,
हर खाब आपके हों हर जीत  आपकी ।

दामिनी

बोली जीने में क्या रखा ,
मैंने दिन इतना बुरा देखा ,
और जग से  रिश्ता तोड़ गई ।
आखिर में वो जग छोड़ गई ।

बोली करना तो यूं करना ,
मेरे नाम पे आखिरतक लड़ना  ,
लो मैं अपना गम छोड़ गई  ।
आखिर में वो  जग छोड़ गई ।

मेरे हाल पे कोई मत रोना ,
देखो  बेबस अब मत होना ,
संघर्ष को दिल से जोड़ गई ।
आखिर में वो जग छोड़ गई ।

कुछ ऐसे अब विकराल बनो ,
किसी दामिनी का ये हाल न हो ,
जन - जन में मचा के शोर गई ।
आखिर में वो जग छोड़ गई ।|

प्यार न गया

इतनी जद्दोजहद के बाद भी , प्यार न गया ,
वो आके चले गये  , इन्तजार न गया ।

उनकी चाह ने  , यादों का मौसम जवां रखा ,
उजड़े बहुत अरमां मगर  , बहार न गया ।

हर कदम पे  ,  टूटते चले गये कसम ,
पर दिल का वफाओं से , इख़्तियार न गया ।

वो तब तलक , प्यार जताते रहे दिल को ,
जब तलक दिल , अपनी वफा हार न गया ।

वो ऐसे गये ,  लौट के वापस नही आये ,
पर दिल से उनका प्यार ,एक बार न गया ।

Saturday, December 29, 2012

दोस्ती

जब भी उठे है हाँथ मेरे  ,करने को दुआ ,
माँगा यही हर बार, बस इतना ही दे खुदा ।

मेरी जिन्दगी के साथ मेरी दोस्ती रहे ,
मरने के बाद भी न हो दिल से मेरे जुदा ।

वो नादानियाँ करे तू जो माफ़ी न दे सके ,
मेरे हिस्से में लिख देना उसकी सभी सज़ा ।

वो भूल भी जाये मुझे  उसे मैं नही भूलूं ,
चुपचाप दोस्ती का हक करती रहूँ अदा ।

मन्दिर में मस्जिद में क्या बन्दगी करूं ,
अब दोस्त इबादत है और दोस्ती  खुदा ।


शायरी

दिल में  कभी मलाल  न रहने दिया करो ,
                   पर सवाल कुछ सवाल ही रहने दिया करो ।

हर बात सुलझ जाये तो जीने का मज़ा क्या ,
                     कुछ बातों  का बवाल भी रहने दिया करो ।

शायरी

दिल तेरा बीमार है कह दे ,
                   झूठ सही इक बार ही कह दे ।

नही निभा पायेगा  तो क्या ,
                  प्यार से बस प्यार ही कह दो ।

शायरी

दिल की आग लगाई है ये ,
                   दिल  ने  नांव   डूबाई   है ।

तुझे दोष हम क्या दे जालिम ,
               जब अपना दिल हरजाई है ।

Thursday, December 27, 2012

इंसान ही हो भगवान नही

जो बिक जाये ईमान नही ,
ईमान नही,  इंसान नही ।
मेरी दौलत , मेरी रहने दो ,
ईमान मेरा  ,सामान नही ।

इक बार गिरे ,दो बार गिरे ,
तुमको  गिरने की आदत है  ,
पर हमे गिरा न पाओगे ,
भोले  हैं हम , नादान नही ।

कभी धोखा देकर जित गये  ,
अब खेल खेलते नये- नये ,
आईने में देखो तो जरा ,
इंसान हो , क्या शैतान नही ।

अब इम्तहान इतना मत लो ,
ईमान बेचकर मत खेलो ,
 ऊँचे पद पे बैठे हो मगर ,
इंसान ही हो भगवान नही । 

Wednesday, December 26, 2012

मुहब्बत का जरा सा दर्द ये

मुहब्बत का जरा सा दर्द ये , रहने दे सीने में ,
लगाया दांव पे खुद को ,तो ये एहसास पाया है ।

किसी ने दौलतें  जोड़ी , किसी ने शोहरतें  जोड़ी  ,
हमने तो जिन्दगी देकर , ये दर्दे दिल कमाया है ।

भरम में थे जो हम अपना, समझ बैठे बेगाने को ,
वो जो कल पराया था  , वो अब भी पराया है ।

लुभाना छोड़ दो हमको , ख़ुशी का वास्ता देकर ,
जहाँ की झूठी खुशियों से, हमे ये गम ही भाया है ।

वफा की आस में तरसें मगर ,  आया न वो मुरके ,
इक ये दर्द है अपना  ,  न चाहा तब  भी आया है ।

कसम तुमको ऐ दर्दे - गम , दिल से दूर मत जाना ,
हमारी  बदनसीबी  है ,  सबने  दामन  छुड़ाया  है ।

खुशियों का प्याला छोड़ जायेंगे

हो सकता है चलकर भी ,
हम मंजिल नही पायें ,
मगर मुमकिन है हम ,
पाओं का छाला छोड़ जायेंगे ।
अँधेरे रास्तों में फिर ,
न भटकने का डर होगा ,
अपने अनुभवों का ,
वो उजाला छोड़ जायेंगे ।
जहर सब कुप्रथाओं के ,
पी जायेंगे हम इकदिन ,
कल के वास्ते
खुशियों का ,
प्याला छोड़ जायेंगे ।

शायरी

गम  का  कारण  भी  तू  ही  है ,
             और वजह भी तू खुश होने की ।

इतने  आंसूं  मत  दे  जा  की ,
                आदत  हो  जाये  रोने  की ।

Tuesday, December 25, 2012

क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं

उस कलुषित मन के पाप लिखूं ।
या  दुनियां  के  संताप  लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।

अस्मिता के वो  चीथड़े लिखूं  ।
क्या बिखड़े हुए कपड़े लिखूं ।
या जख्मों  भरा  विलाप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।

नेताओं की नई चाल  लिखूं ।
आन्दोलन या  हड़ताल लिखूं ।
आश्वासन भरा  आलाप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।

Monday, December 24, 2012

जाने जां कुछ तो बोलो ना

कोई  प्रेम सा मन में घोलो ना ,
जाने - जां  कुछ तो बोलो ना ।

अच्छा हो , बुरा तुम बोलो ना ,
पर ये क्या की तुम बोलो ना ।

 दिल में जो लगकर चुभ जाये ,
कोई बात तीर सा बोलो ना ।

पर यूँ गुमसुम न रहा करो ,
दिल जलता है कुछ बोलो ना ।

रूठे हो  , अब कब मानोगे ,
जानेमन कुछ तो बोलो ना ।

सूना - सूना सा लगता है ,
जब भी तुम कुछ भी बोलो ना ।

कुछ गिला करो कुछ प्यार करो ,
अनबन छोडो मुंह खोलो ना ।

अब कसम मेरी जो ना बोले   ,
पत्थर हो क्या कुछ डोलो ना ।

कोई  प्रेम सा मन में घोलो ना ,
जाने जां कुछ तो बोलो ना ।

इंसानियत से अब तो भरोसा ही उठ गया

इतिहास के पन्ने पलट रहें हैं आजकल ,
देखें कहाँ - कहाँ पे क्यूँ सत्ता पलट गया ।

जिस देश में नारी की पूजा किये सभी ,
उस देश में नारी का रुतबा क्यूँ घट गया ।

कुदरत की बनाई हुई सबसे हंसीं मूरत ,
इंसान के हांथों में आया तो  लुट गया ।

ताकत मिली उन्हें ,नुमाइश में लग गयें ,
ऐसे कली को रौंदा ,सरबस ही मिट गया ।

जो  इस कदर बेदर्द है इन्सान न होगा ,
इंसानियत से अब तो भरोसा ही उठ गया ।

Saturday, December 22, 2012

कुछ कहा नही कुछ सुना नही

अबतक हमने मुंह  बंद रखा  ,
कुछ कहा नही कुछ सुना नही ।

अब जोड़ से भी चिल्लाएं तो ,
वो कहते हैं  ,,कुछ सुना नही ।

वो ऊँचे जाकर जो बैठे हैं ,
निचे से कहा , तो सुना नही ।

कोई तडप रहा था सडकों पे ,
वो घर में थे  , कुछ सुना नही ।

कोई कई दिनों से सोया नही ,
वो सोये थे  ,  कुछ सुना नही ।

कोई पीडा से न होश में है ,
वो मौज में हैं  , कुछ सुना नही ।

अब जनता कहती है बाहर आ ,
फिर कहता हूँ  , जो सुना नही ।

वो  कहते  हैं  रहने  भी  दो ,
वो क्या कहना , जो सुना नही ।

सब  फिर  वैसा हो जायेगा ,
जैसे कहा नही, कुछ सुना नही । 

दुनियां को बचाने की शुरुआत यही है

दुनियां को बचाने की शुरुआत यही है ,
हम खुद को बचाने की अभियान में रहें ।

किसी और के एहसान के दावे में न पड़े ,
अच्छा है ये हम खुद की ही एहसान में रहें ।

रोज - रोज ज्ञान की कुछ बूंद को पियें ,
दिन न कोई चुके ये भी ध्यान में रहे ।

आँखों के पिटारे में हो कुछ खाब भी कल के ,
पर सतर्कता से आज के कल्याण में रहें ।

मेरे प्यार को तो तमाशा न कहिये

मुहब्बत भले खेल हो आपका पर ,
वफाओं को मेरी दिलासा न कहिये ।

अपने  लिए  आप  जो  सोंचते  हो ,
मेरे प्यार को तो तमाशा न कहिये ।

रुलाया  बहुत  आपने  दर्द  देकर ,
मेरे हाल को अब हताशा न कहिये ।

मुझे है यकीन रंग लाएगी कोशिश ,
मेरी चाह  को  झूठी आशा न कहिये ।

हमारी तरह  फिर मरेगा  न कोई ,
समन्दर सा दिल है ,जरा सा न कहिये ।

शायरी

न नींद है ,  न चैन है ,  न होश है बांकी ,

सौ बात की इक बात है की प्यार हुआ है ।

शायरी

यही बात उनकी सारे जमाने से जुदा है ,

वो हार के भी हार कभी मानते नही ।


शायरी

नासमझ वफायें भी समझें न , क्या करें ,

पूछो तो कहतें है , अलग अंदाज है अपना ।

Thursday, December 20, 2012

शायरी

टूटे हुए दिल को हम ,  जोड़ तो लेंगे ,

पर उम्र भर रह जायेगा निशान दर्द का ।

मैं होश में रहूँ न रहूँ तुमको इससे क्या ।

मतलब की बात करलो  , है काम का मसला  ,
कुछ  बात  तो  होगी ही  ,  आये  न  बेवजह ।
अब बंद करो रोज का  ,  अपना ये फलसफा
मैं  होश में रहूँ न रहूँ  ,  तुमको  इससे  क्या ।

इस कदर  भी  गैरों  का  ,  ख्याल  न  करो ,
दुनियां यूंही चलती है  , तूम मलाल न करो ।
होगा करम जो छोड़  दो   ,  मेरे हाल पे मुझे ,
क्यूँ  इस कदर  जीते  हैं   ,  ये सवाल ना करो ।

कोई  भी जतन करलो  ,  मुझे कुछ नही कहना ,
मैं दर्दे - गम कैसे भी सहूँ  ,  तुमको इससे क्या ।
 मैं  होश में रहूँ न रहूँ   ,  तुमको  इससे  क्या ।

दुनियां क्या सोंचती है   ,  बताते हो किसलिए ,
सुनना नही जब कुछ भी  ,  सुनते हो किसलिए ।
कुछ  भी  हो  हाल   ,  हमने  बुलाया  नही  तुम्हें ,
कुछ  तो  भरम  रखते ,  तुम आते हो किसलिए ।

जब  तुमने  मुझे   , अपना  समझा  ही  नही  है ,
तो मैं गैर कहूँ  , अपना कहूँ , तुमको इससे क्या ।
मैं  होश  में  रहूँ न  रहूँ   ,  तुमको  इससे  क्या ।


 

शायरी

प्यार करके मुकरने की सज़ा इतनी हो खुदा ,

वो  तडपे  तब  भी  कोई  उसे  प्यार  ना  करे । 

शायरी

नाजुक से मेरे दिल पे सितम उसने वो किये ,

अब नाम से भी इश्क के दिल खौफजदा है ।

शायरी

ताज्जुब है ,दुनियां में गम और है लेकिन ,

हर बार मुझे ,प्यार का गम ही मिला है ।

शायरी

कितनी  अजीब बात  है  ,  हम  चाहें  न  चाहें ,

वो  जिद  पे  अड़े  हैं  ,  हमारे  दिल  में  रहेंगे ।

Wednesday, December 19, 2012

शायरी

लगा था छोडके उन्हें आ गये हम दूर कहीं ,

दिल में देखा जो उन्हें , हाय रे भरम टूट गया ।

प्यार जितना भी है सब दिल में छुपा लेते हैं

प्यार जितना भी है , सब दिल में छुपा लेते हैं ।
कह भी दे तो क्या , शिकवों के सिलसिले होंगे ।

मुझे  फिर  दर्द की राहों से  ,  गुजरना होगा ,
तुम्हें भी फिर से ,  उन्हीं बातों  के  गिले होंगे ।

मुझे बड़ा  दर्द  हुआ  ,  साथ  तेरा  खोने  से ,
तुम्हे  थोड़े  से  सही  ,  दर्द  तो  मिले  होंगे ।

सब कुछ जान के भी  , तुम जो आजमाते रहे ,
कभी सोचा न  ,  कितनी बार दिल जले होंगे ।

घाव दिल के  ,  जतन कर के भी न भरे होंगे ,
तभी  तो  छोड़ तुम्हे  ,  दूर  हम  चले  होंगे ।

शायरी

चलती  है  हवा सर्द , खिड़की खोल मत देना ।
                     अपने जज्बात फजाओं से जाके, बोल मत देना ।

पहले  से  ही  बेदर्द  सी  ,  बहती  हैं  हवाएं ,
                         इनमें कहीं तुम अपना भी गम घोल मत देना ।

शायरी

इश्क जब हद से गुजर जाता है ।
                     जहाँ  भी  देखिये  इश्क  नजर  आता  है ।

इश्क फिर होठों से बयाँ नही किया जाता ,
                     दिल ही कहता है और दिल से ही सुना जाता है ।

शायरी

मेरे लिखे हुए शब्दों को , जरा पढ़ के बताएं  ,

जज्बात बयानगी में हम , कितने खड़े उतरे ।

शायरी

फरमाने - मुहब्बत अब कुछ इस तरह से हो ,

वो जो बे - मरौअत हैं , तो उन्हें प्यार ही न दो ।

Tuesday, December 18, 2012

शायरी

मातम न मनाना  , मेरी बर्बादी का कोई ,

आदत सी हो गई है अब ,ऐसे ही जीने की ।

किसका सगा है दिल

ढूंढा बहुत तो जाना  ,  कबसे गुमशुदा है दिल ।
मेरी सुनता नहीं है आजकल , मुझसे जुदा है दिल ।

इक वो हैं  ,   बड़े आराम से  , जीते हमारे बिन ,
इसी इक बात से  ,  बेवजह हमसे खफा है दिल ।

अकड़ते हैं बहुत ज्यादा  ,  वो अपनी होशियारी पे ,
उन्हें मालूम शायद  ना हो  ,  कितना बेवफा है दिल ।

धडकता है , किसी के नाम पे  , और है  ,किसी का दिल ,
जिसका है , नही उसका , तो फिर किसका सगा है दिल ।

शायरी

सनम दिल में ,  मेरी जगह रहने देना ।
                     मेरे जीने की ये   ,  वजह रहने देना ।

अगर  रस्में -उल्फत निभा न सके जो ,
                         मुझे  , दोस्तों की तरह रहने देना ।

शायरी

माना की यहाँ  दिल के , खरीदार  बहुत हैं ,
                     पर क्या करें ये सौदा तो , पहले ही कर चुके ।

फितूर अगर होता   , तो उतार भी देते ,
                         कैसे उसे उतारे  ,  जो दिल में उतर चुके ।




शायरी

उसी इक बात का यारों शिकायत हम करें कितना ,
 उसी के दर्द से बोलो ये आँखें नम करें कितना ।

करो एहसान अब इतना मुझे  अपना ही गम दे दो ,
एक ही गम का अब सारी उमर मातम करे कितना ।


Monday, December 17, 2012

शायरी

दोस्तों  ने दिया दिल को ,  इस कदर धोखा ,

सब को छोड़ हमने  ,  खुद से दोस्ती करली ।

गुमसुम रहूँ तो

गुमसुम  रहूँ  तो ,  हंसाते  हैं  पहले ,
हंसू जो तो कहते हैं , हंसती हो ज्यादा ।

गुस्सा दिलाते हैं  ,  नादानी करके ,
फिर ये गिला की , बरसती हो ज्यादा ।

नाराजगी में  ,  मनाते तो है पर ,
शिकायत ये भी की , अकड़ती हो ज्यादा ।

नही छोड़ते हैं  ,  सताने की आदत ,
लडूं जो तो , कहते हैं लडती हो ज्यादा ।

मैं कह दूँ अगर की  , मुहब्बत नही है ,
कहेंगे हसीं पे ,  बिगडती  हो  ज्यादा ।

वफाओं में उनकी  ,  बनावट नही है ,
इसी बात से , उनपे मरती हूँ ज्यादा ।

हर हाल में मैं खुश हूँ

हर हाल में मैं खुश हूँ  ,  ये  मेरी  वफा  है ।
पर अबतलक तू गम में है , ये तेरी सज़ा है ।

आसान है तू कर  के खता  , मांग ले मांफी ,
मैं माफ़ करूं या न करूं  ,  मेरी रज़ा है ।

मैंने कहा जब प्यार , तो समझे नही थे तुम ,
अब चुप रहूँ ,  तो भी तुम्हे मुझसे गिला है ।

कितना खराब हाल  था  , तेरे प्यार में मेरा ,
तुमको तो हर बार मुझसे  , प्यार मिला है ।

मै तडपी बहुत फिर भी  ,  तुम्हे दर्द न हुआ ,
फिर किस तरह कहते हो  , दिल मुझसे जुड़ा है ।

कितने हसीन पल थे  , जब साथ थे हम - तुम ,
अब तन्हा -  तन्हा रहना ,कहो  कितना बुरा है ।

मैंने  तो  झूठा  प्यार  ही  ,  खोया है मुझे क्या ,
फुरसत में कभी सोंचना    ,  तेरा क्या गया है ।

शायरी

इक दिल और इक जान' पि ' , दी जो तुमपे वार ।

होते जो सौ जान  तो  ,  वारती  सौ - सौ बार ।

शायरी

जरूरत क्या तुम्हे  , तीर और तलवार की कातिल  ,

नजर भर  देखलो  जिसको , वो जीना छोड़ दे खुद ही।

Saturday, December 15, 2012

शायरी

कहता था कभी जो मेरे रहते गम नही होगा ,

वही गम दे गया इतना ,जो अब कम नही होता ।

शायरी

जमाने भर की  रुसवाई , हंसके सह गये लेकिन ,


जरा सी बेरुखी तूने की , लो मेरी जान पर आई ।

शायरी

उस सैयाद ने , फरियाद दिल की , अनसुनी करके ,
                    अच्छा  - भला  दिल का जहाँ , बरबाद कर डाला ।

दिल कहता था ,  बंदी रख , उसने एक न सुनी ,
                   तरस खाया नही और  , कैद से आजाद कर डाला  ।

शायरी

दिल के दर्द से अभी ,  फुर्सत नही मुझे  ,

 होश में आने दो ,फिर कोई बात करेंगे ।

शायरी

वो हंस पड़े , जब मैंने कहा , प्यार है तुमसे ,

वो क्यूँ हँसे ,हम आजतक उलझे हैं इसी में ।

शायरी

नादान थी मै ये क्या ,मांग बैठी ,
                            वफाओं के बदले वफा मांग बैठी ।

जिसे  प्यार की कुछ समझ ही नही थी ,
                           उसी को मैं अपना खुदा मान बैठी ।

Friday, December 14, 2012

शायरी

उसीने  चोट  देकर  दिल  मेरा  पत्थर  बना  डाला ,

अब शिकवा भी करता है , पत्थर दिल सनम कहके ।

टूटे हुए रिश्तों को बचाने की कवायत

टूटे  हुए  रिश्तों  को  बचाने  की  कवायत ,
दिल रोज करता है , मगर हम नही करतें ।

उसकी दूरी के गम से दिल तडपता तो बहुत है  ,
दिल मरता है उसकी याद में  , हम नही मरते ।

जिद सी उठती तो है, शिकायत करने की लेकिन ,
हंसी होठो पे रखते हैं   ,  उनसे हम नही लड़ते ।

वो भी डाल के बैठे हैं   ,  अपने हाल पे चुप्पी ,
हम भी पास रहते हैं    ,  मगर आगे नही बढ़ते ।

मुहब्बत कल भी थी ,  आज है , कल भी रहेगी ,
मगर दिल के झमेले में , फिर से हम नही पड़ते ।

किसे मालूम था   ,  एक दिन ऐसा भी आएगा ,
टूटने ख़ाब  हैं   ,  गर जानते दिल में नही भरते ।

रफ्ता रफ्ता यूंही जिन्दगी  , बित जाएगी ऐ दिल ,
जरा सी बात पे , रो- रो के शिकवा हम नही करते । 

Thursday, December 13, 2012

न आयेंगे हम राह क्यूँ देखते हो

आना मेरा गर  , गंवारा न था तो ,
महफिल से जाने से क्यूँ  रोकते  हो  ।

तुम्हे गर मुहब्बत , नही हमसे यारा ,
तो हम तुमको चाहें ये क्यूँ सोचते हो ।

गुजरते हो राहों से  , कतराके ऐसे ,
जैसे  की  नाता  नही  कोई  हमसे,

नजर सामने से ,  मिलाते नही जब ,
किसी और से हाल  क्यूँ पूछते हो ।

बहुत गम हुआ , मेरी बातों से तुमको ,
खता बस हुई की हकीकत सुनाया  ,

मुझे जब नही हक , शिकायत करूं मै ,
तो तुम ताने - बाने ही क्यूँ फेकते हो ।

तुम्हारे लिए   ,   कितने आंसू बहाए ,
मगर दिल तुम्हारा न फिर भी पसीजा ,

बहुत हो गया  ,  गिडगिडाना तडपना ,
न आयेंगे हम  ,  राह क्यूँ देखते हो ।

शायरी

बेकदरों की इतनी कदर कर गये हैं ,
                         न पूछो वफा किस कदर कर गये हैं ।

लुटा आये अपनी ख़ुशी उनके उपर ,
                         अब उनके गमों से सफर कर रहे है ।

शायरी

कितना मुश्किल है समझना , की जो था ,

झूठ था सबकुछ ,

जिसे सच मान के , दुनियां से हम तकरार करते थे ।

शायरी

दिल के साथ की उसने ये कैसी बेरुखी यारों ,

जिसे हम प्यार कहते थे, वो थी बस दिल्लगी उसकी।

शायरी

इस तरह से तोड के तुम जाओ मेरा दिल ,

तडपे भी अगर दिल तेरी पनाह न मांगे ।

शायरी

इश्क मुझको हुआ है  , उसे इल्जाम क्या मै  दूँ ,

उसने दिल नही दिया  , वो समझदार बहुत  हैं । ।

शायरी

जो बोल प्यार के भी गम में दे नही सके ,

फिर खुद को इन्सान समझते हो किसलिए ।

शायरी

ये सोंचकर रख दी है पर्दे में हकीकत ,

नंगा सरे - बाज़ार तू अच्छा न लगेगा ।

शायरी

मै  नाराज  हूँ  तुमसे , मगर मै क्या करूं ऐ दिल ,

तुझे नाराज मै कर दूँ , ये भी अच्छा नही लगता ।

शायरी

कहते तो थे ,  तुमसे मेरा दिल का नाता है ,

तो जब तोडा मेरा दिल तो तुम्हे दर्द न हुआ । 

शायरी

कुछ भी न अदा कर सका मेरे प्यार के बदले ,
.
.जाने प्यार की दौलत में वो कितना गरीब है ।

Saturday, December 8, 2012

मुहब्बत न कर बहुत गिला होगा

वो कहते हैं , मुहब्बत न कर ,बहुत गिला होगा ।
शायद मुहब्बत में उन्हें , गम बहुत मिला होगा ।

उन्हें  भी  रातों  को  ,   नींद   न  आई  होगी ,
दिन  बेचैनीयों   के  साये में  ,   ढला  होगा ।

उनकी आँखों में   ,  उदासी का सख्त पहरा है ,
इन पलको में कभी   , खाब कोई  जला होगा ।

उन्हें  यकीन  न  रहा   ,  वफा  की  बातों  पे ,
बेवफाई  ने   ,  इस  बुरी  तरह  छला  होगा ।

रौशनी ने दिया होगा   ,  उन्हें  तोहफा गम का  ,
ख़ुशी  की  आस  में  ,  अँधेरों  में  चला  होगा ।

कोई तो जख्म है  , जो सबसे  छुपा  रखा  हैं ,
भला  ऐसे  ही  कोई  कैसे   ,  बावला  होगा ।

कितनी बेकरारी से तुम्हारी राह तकती थी

कितनी  बेकरारी  से   ,  तुम्हारी राह  तकती थी ,
इक इक पल कटें ऐसे, की इक सदियाँ लगती थी ।

तूने फिर भी न समझा, मुहब्बत किसको कहते हैं ,
तुम्हे  दीवानगी  मेरी  ,  बस इक खेल लगती थी ।

मेरी नाराजगी पे तुमको ,  आई  हंसी  कितनी ,
तुम बेदर्द थे  ,  तुमको न मै ऐसा समझती थी ।

दिल  में  तीर के जैसे  ,  लगा कांटा चुभा कोई ,
उसी के दर्द में  , रात - दिन , हर रोज जलती थी ।

अगर जो तुम बुरा होते , हम तब भी न गम करते ,
गम ये था , की नियत तेरी , कितनी बदलती थी ।

तेरी बेरुखी ने  ,  तोड़ कर रख दिया मुझको ,
मै  हर सुबह उगती थी , और हर शाम ढलती थी ।

अच्छा हुआ ,  झूठे सहारे  ,  छोड़ आये हम ,
मेरी ही आरजू थी जो  , मेरे अरमान छलती थी ।

इतना प्यार कर बैठी

मुझे कोई हक न था ,
                   फिर भी तुमसे रार कर बैठी ।
दीवाना हो गया था दिल ,
                       जो मै तकरार कर  बैठी ।
मेरी नादानी को ये दिल ,
                           नजरंदाज  कर   देना ।
खता ये हो गई मुझसे  ,
                         जो इतना प्यार कर बैठी ।

Friday, December 7, 2012

शायरी

आग लगता है अभी और दिन जलाएगी ,
                      चैन लगता है कुछ और दिन न  आएगी ।

हम सोंचते हैं  न जाने कब वो आयेंगे ,
                       वो  सोचते  हैं  न  जाने  कब  बुलाएगी ।

शायरी

सताके मुझे अब मज़ा ले रहे हो ,
                         नाराजगी  और  बढ़ा  दे  रहे  हो ।

पहले ही दिल जो जलाया क्या कम था ,
                       जो चिंगारी को फिर हवा दे रहे हो ।

हम रूठे तो तुमको मनाना न आया

हम रूठे तो तुमको मनाना न आया ,
दिल रखने का कोई बहाना न आया ।

ये किस बेकदर से लगा बैठे दिल हम ,
जिसे नाजे -उल्फत उठाना न आया ।

माना  तुम्हे  प्यार  हमसे  बहुत  है ,
क्यूँ हाले दिल फिर बताना न आया ।

खता  हो  गई  हमसे  नाराजगी  में ,
ये सच है हमे गम जताना न आया ।

मगर रुठ  के हम चले जब वहाँ से ,
तुम्हे आवाज देके बुलाना न आया ।

तुम्हे क्या यकीन प्यार पे न रहा था ,
दो आंसू वफा के बहाना न आया ।

बहुत चोट तुमने लगाई जो दिल पर ,
जरा सा भी मरहम लगाना न आया ।

खता तुमने की पर सज़ा मैंने पाई ,
तुम्हे आके हमको बचाना  न आया ।

समझ पाते  तुम जो मेरी वफा को ,
शायद अभी वो जमाना न आया ।

Thursday, December 6, 2012

तेरे साथ मेरी मुहब्बत तो होगी

रहेंगे अगर दूर तुमसे तो तुमको ,
हमारे लिए कुछ शिकायत तो होगी ।

रुठोगे हमसे गिला दिल में लेकर ,
हमारे लिए थोड़ी नफरत तो होगी ।

मगर जिन्दगी से अकेले लड़ोगे ,
तो तुमको किसी की आदत न होगी ।

बहुत दर्द दिल में बसाये हुए थे ,
तुम्हे अब उनकी भी चाहत न होगी ।

जागेंगे जब दिल में सपने - सुहाने ,
बिना पाए उनको भी राहत न होगी ।

नई  जिन्दगी  के  नये  खाब  होंगे ,
बेकार  झूठी  बनावट  न  होगी ।

बहुत दूर जाना है लम्बा सफर है ,
तुम्हे दोस्तों की जरूरत तो होगी ।

ये माना  की हम न तेरे साथ होंगे ,
मगर साथ मेरी मुहब्बत तो होगी ।
 

शायरी

लगा तीर दिल में है , कैसे निकाले ,
                             बहुत दर्द होता है कैसे सम्भाले ।

वही दर्द दे जिसको देनी दवा थी ,
                      फिर किससे कहे आके हमको बचाले ।

शायरी

यही सोंचते हैं की ऐसे तो न थे ,
                   तुम वो नही हो कोई और होगा ।

कभी भूल से हमने सोंचा भी न था ,
                   तू खेल में मेरा दिल तोड़ देगा ।

जितना ज्यादा चाहा उसको

 जितना ज्यादा चाहा उसको ,
                      उतना ज्यादा गम कर बैठे ।

बातें उसकी सोंच सोंच के ,
                       आँखें अपनी नम कर बैठे ।

जिसको प्यार का पता नही था ,
                    उल्फत की कोई समझ नही थी ,

ऐसे सौदाई से क्यूँ कर  , 
                    दिल का सौदा हम कर  बैठे ।

Wednesday, December 5, 2012

कभी प्यार कहदो

जो चाहो तो दिल को , खतावार कह दो ,
मेरी  बेबसी  को  ,  मेरी  हार  कह  दो  ।

खालो मगर तुम  ,  तरस मेरे दिल पर ,
सनम तुम मेरे हो , बस इक बार कहदो ।

जो तुम भी न समझो , तो किससे कहेंगे ,
मेरे दिल पे होगा ये  , उपकार कह दो ।

चुरा लोगे हर गम  , मेरे दिल में छुपके ,
तुम्हे साथ मेरा   ,  है स्वीकार कह दो ।

पता है जलन कितनी ,  होती है दिल में ,
ये दिल  ,  तुम्हारा है बीमार कह दो ।

मुहब्बत में जाने क्यूँ  ,है इतनी उलझन ,
तुम भी बने हो क्यूँ  ,  दिवार कह  दो ।

कह - कह के हम थक गये प्यार तुमको ,
तुम भी तो हंसके  ,  कभी प्यार कहदो ।

Tuesday, December 4, 2012

कुछ प्यार की बातें भी करलो

कुछ प्यार की बातें भी करलो ,
जब बोलोगे , गम बोलोगे ।

दुनियां में खुशियाँ  है लेकिन ,
जब देखोगे , गम देखोगे ।

क्या क्या जाने ,क्या क्या समझे ,
कितनी बातें हैं जानने को ।

पर तुमको इन बातों  से क्या ,
जब समझोगे ,गम समझोगे ।

देखो किलकारी बच्चों की ,
लगता है खुशियाँ बरस रहीं ।

तुमको खुशियों से क्या मतलब ,
जब सोचोगे , गम सोचोगे ।

देखो ये बदली अम्बर में ,
कितना मन को हर्षाता है ।

पर तुमको तो गम करना है ,
जब करते हो ,गम करते हो ।

अब छोड़ भी दो गम का दामन ,
इससे जकड़े क्यूँ रहते हो ।

प्यार भी दो कभी प्यार भी लो  ,
गम  देते - लेते  रहते हो ।


मुहब्बत यही है

बड़ी बेबसी है , न पूछो  ये क्या है ,
सभी कह रहे हैं , मुहब्बत यही है ।

कहाँ जाएँ ,कैसे मिले चैन दिल को ,
सुनो ,एकपल को भी राहत नही है ।

न जाना न देखा , न सोंचा  ये होगा ,
ये धोखा है दिल का, शिकायत यही है।

जरा देर रुकते , समझते सम्भलते ,
ये नादानियाँ है , शराफत नही है ।

लगता है  ,  अरमां ये जीने न देगी ,
और मरने न देगी ,की आफत यही है ।

 कहते हैं सब ,  ये है मौसम का जादू ,
हवाओं में देखो  ,  नजाकत यही है ।

देखो जी अब  ,  इम्तहां न लो मेरी ,
मुझे बेकरारी की  ,  आदत नही है ।

मिटाने से भी जो , मिटा न सके हम ,
लगता है अब की  , मुहब्बत वही  है ।



हम प्यार का कलम पढ़ आये

सब नफरत के गुण गाते थे ,
हम प्यार का कलमा पढ़ आये ।

सब मतलब-मतलब करते थे ,
हम बेमतलब की कर आये ।

वो  देने  को  तो  बैठे  थे ,
हमको  लेना  मंजूर  न  था ।

हम लेन- देन में फंसे नही  ,
और वापस अपने घर आये ।

इक बाजी खेली

इक बाजी खेली अच्छा था ,
ईमान लगाया अच्छा नही ।

दौलत हारे कोई बात न थी ,
ईमान गंवाया अच्छा नही ।

इक दिल को जीता अच्छा था ,
फिर दिल को दुखाया अच्छा नही ।

कुछ घर जलते  तो बन जाते  ,
पर दिल को जलाया अच्छा नही ।

कसमें खाना तो अच्छा था ,
पर कसम भुलाया अच्छा नही ।

कुछ मिला नही कोई बात न थी ,
पर आह कमाया अच्छा नही ।

Monday, December 3, 2012

अँधेरा है बहुत , चल के दीया ढूंढते हैं

अँधेरा है बहुत , चल के दीया ढूंढते  हैं ।
                        चांदनी के तले  , चाँद  नया  ढूंढते हैं ।

अब न चाहिए  बेदर्द  ,  दर्द देने वाले ,
                        कोई  मसीहा जो ,जोड़े जिया ढूंढते है ।

देख के जख्म , मुंह फेर के गये कितने ,
                   जिसको आये हमारे गम पे, दया ढूंढते हैं ।

मै हूँ तलाश में तू भी साथ चल मेरे ,
                    मिलके हम साथ में , हसीन जहाँ  ढूंढते हैं ।

गुनहगार कहाँ है

नफरत बोते है , और कहते हैं ,
ऐतवार कहाँ है ।

दिल को तोड़ के , पूछते हैं ,
बता प्यार कहाँ है ।

किससे पूछे की चमन में,
उदासी क्यूँ है ।

चलो दिल में ही तलाशे ,
वो गुनहगार कहाँ है ।

Sunday, December 2, 2012

तुम कहाँ थे

कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें  मेरी  रो  रही  थी  ,  तुम कहाँ थे ।

दिन गुजारा ,बस तुम्हे ही याद कर के ,
राह तक के सो गई थी  , तुम कहाँ थे ।

सारी  दुनियां साथ थी , बस दूर थे तुम ,
मेरी खुशियाँ खो गई थी , तुम कहाँ थे ।

पूछो मत की  ,  काटे कैसे वक्त मैंने ,
चैन जैसे खो गई थी  , तुम कहाँ थे ।

मेरे जिम्मे छोड़ के सब चल दिए तुम ,
प्यार तन्हा ढो रही थी  , तुम कहाँ थे ।

तुम बरसते थे न , बनके मन पे बादल ,
फिर भी अरमां बो रही थी ,तुम कहाँ थे ।

दुनियां को कैसे दिखाती  ,  दाग दिल के ,
छुप के उनको धो रही थी , तुम कहाँ थे ।

 कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें  मेरी  रो  रही  थी  ,  तुम कहाँ थे ।