प्रलय का ही दूसरा नाम है ये,
तबाही की खातिर बदनाम है ये ,
काल सा लहरों का शोर लिए ,
युग के उत्थान का तोड़ लिए ,
आके ये जग को मिटाता फिरे ,
बहावों में सबको बहाता फिरे ,
है इसके लिए न परिधि बनी ,
जाने क्यूँ जग से है इसकी ठनी,
बनते को पल में बिगाड़ा करे,
संवरों की सूरत उजाड़ा करे ,
आता है बस तोड़ने हौसले ,
कहे रोक सकता है तो रोक ले ,
ललकारे ये बेबस खड़ी जिंदगी ,
लगती है छोटी बड़ी जिंदगी
सुनो आपदायें मेरी बात को ,
नहीं तुममे ताकत हमें मात दो ,
है मानव मरा पर आशा न मरी ,
जीने की जिजीविषा न मरी ,
हैं गम ऐसे पहले भी आते रहें ,
मानव धर्म अपना निभाते रहें ,
तुम्हे आता है गर मिटाना हमें,
आता है बिगड़ा बनाना हमें ,
माना की सदमा बहुत है बड़ा ,
आघात दिल पे किया है कड़ा,
लेकिन है जबतक बची जिंदगी ,
गम में भी हम ढूंढ़ लेंगे ख़ुशी ,
देंगे मिशालें जो हम प्यार के ,
जाना पड़ेगा तुम्हे हार के ||
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