मैं भी रोया तू भी रोई , पर रोने से क्या होता है,
मैं तेरा हूँ तू मेरी है , जुदा होने से क्या होता हैं।
है कौन भला इस दुनिया में , जिसको न कोई गम होता है
जाने से दूर सनम से भी , ये प्यार कहाँ कम होता है।
जकड़े जाते हैं तन लेकिन , मन बांध कहाँ कोई पाता है,
जब आँख देखती है सपने , मन का पंछी उड़ जाता है।
दुनिया को नही मंजूर है ये , कोई प्यार भरा अफसाना हो,
चाहे जितने भी हो दुश्मन , पर ना कोई दीवाना हो।
मिलती हैं सजाएं उल्फत में , पत्थर बरसाए जाते हैं,
ऐ यारा कर्ज मुहब्त में , ऐसे ही चुकाए जाते है।
फिर उठेंगी ऊँची दिवारे , लाखों फतवे जारी होंगे,
जिसे देख कयामत रोएगी , वो सितम ऐसे भारी होंगे।
ममता देने वाली आँचल , बिल्कुल छोटी पर जायगी,
खुशियाँ देने वाली आँखे , गम आँखों में भर जायगी।
टूटेंगे जब दो दिल तबही, इस दुनिया को राहत होगी,
महफिल में नफरतवालों के , फिर से रुसवा चाहत होगी।
इस प्रेम डगर में दीवानी , इक मंजिल है दो राहें है,
उस ओर जमाने की रौनक , इस ओर दर्द और आहें है।
काँटों से भरे इन राहों पे , चल पाना बड़ा मुश्किल होगा,
दम निकलेगा अरमानों का , छलनी-छलनी ये दिल होगा।
ऐसा ना हो आगे बढके , फिर से पीछे मुड जाना हो,
चलने से पहले सोंच जरा , ना की पीछे पछताना हो।
अच्छा होगा तू सुलझाले ,अपनी उमीदों की उलझन,
ऐसा ना हो तेरे कारण , जख्मी हो मेरा दिवानापन।
ये सौदा दिलों का होता है , ये खेल बड़ा ही मुश्किल है,
तेरे पास जमाने की दौलत , मेरे पास तो बस मेरा दिल है।
हर गम दुनिया के सह लेगा , ये गम ना दिल सह पायेगा,
मैं रोक न पाउंगा दिल को , दर्दे गम में बह जायगा।
इस दम ही मुझको भूल के तू , कोई ढूंढ़ ले नये बहाने को,
या तो दे वफाओं की रौनक , या मार दे फिर दीवाने को।
क्या खोना है क्या पाना है , जो करना है इस दम कर ले,
अपनाले या फिर ठुकरादे , अपनी उलझन को कम कर ले।
मैं तेरा हूँ तू मेरी है , जुदा होने से क्या होता हैं।
है कौन भला इस दुनिया में , जिसको न कोई गम होता है
जाने से दूर सनम से भी , ये प्यार कहाँ कम होता है।
जकड़े जाते हैं तन लेकिन , मन बांध कहाँ कोई पाता है,
जब आँख देखती है सपने , मन का पंछी उड़ जाता है।
दुनिया को नही मंजूर है ये , कोई प्यार भरा अफसाना हो,
चाहे जितने भी हो दुश्मन , पर ना कोई दीवाना हो।
मिलती हैं सजाएं उल्फत में , पत्थर बरसाए जाते हैं,
ऐ यारा कर्ज मुहब्त में , ऐसे ही चुकाए जाते है।
फिर उठेंगी ऊँची दिवारे , लाखों फतवे जारी होंगे,
जिसे देख कयामत रोएगी , वो सितम ऐसे भारी होंगे।
ममता देने वाली आँचल , बिल्कुल छोटी पर जायगी,
खुशियाँ देने वाली आँखे , गम आँखों में भर जायगी।
टूटेंगे जब दो दिल तबही, इस दुनिया को राहत होगी,
महफिल में नफरतवालों के , फिर से रुसवा चाहत होगी।
इस प्रेम डगर में दीवानी , इक मंजिल है दो राहें है,
उस ओर जमाने की रौनक , इस ओर दर्द और आहें है।
काँटों से भरे इन राहों पे , चल पाना बड़ा मुश्किल होगा,
दम निकलेगा अरमानों का , छलनी-छलनी ये दिल होगा।
ऐसा ना हो आगे बढके , फिर से पीछे मुड जाना हो,
चलने से पहले सोंच जरा , ना की पीछे पछताना हो।
अच्छा होगा तू सुलझाले ,अपनी उमीदों की उलझन,
ऐसा ना हो तेरे कारण , जख्मी हो मेरा दिवानापन।
ये सौदा दिलों का होता है , ये खेल बड़ा ही मुश्किल है,
तेरे पास जमाने की दौलत , मेरे पास तो बस मेरा दिल है।
हर गम दुनिया के सह लेगा , ये गम ना दिल सह पायेगा,
मैं रोक न पाउंगा दिल को , दर्दे गम में बह जायगा।
इस दम ही मुझको भूल के तू , कोई ढूंढ़ ले नये बहाने को,
या तो दे वफाओं की रौनक , या मार दे फिर दीवाने को।
क्या खोना है क्या पाना है , जो करना है इस दम कर ले,
अपनाले या फिर ठुकरादे , अपनी उलझन को कम कर ले।
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