वो चैन इत्मिनान और सुकून कहाँ है ?
जो चाहिए जीने को वो जूनून कहाँ है ?
ना जाने कहाँ हो गये शिकस्त हौसले ,
जो खौलता था बेधरक वो खून कहाँ है ?
सच के लिए उठने को अब आवाज कहाँ है ?
वो स्वाभिमान देशभक्ति नाज कहाँ है ?
है अपने - अपने गम से यहाँ त्रस्त हर कोई ,
गमगीं है जहाँ कोई खुश मिजाज कहाँ है ?
बादल को अब बूंदों पे इख़्तियार कहाँ है ?
सागर को भी लहरों पे ऐतवार कहाँ है ?
हर शै नशीब है हुआ ऐशो आराम का ,
पर दिल को एक पल को भी करार कहाँ है ?
ऊँगली उठी कई बार की भगवान कहाँ है ?
वो सच्ची और प्यारी सी मुस्कान कहाँ है ?
झाँका नही कभी भी गिरेबान में अपने ,
जो पा सके
रब
को
तू
वो
इन्सान
कहाँ
है ?जो चाहिए जीने को वो जूनून कहाँ है ?
ना जाने कहाँ हो गये शिकस्त हौसले ,
जो खौलता था बेधरक वो खून कहाँ है ?
सच के लिए उठने को अब आवाज कहाँ है ?
वो स्वाभिमान देशभक्ति नाज कहाँ है ?
है अपने - अपने गम से यहाँ त्रस्त हर कोई ,
गमगीं है जहाँ कोई खुश मिजाज कहाँ है ?
बादल को अब बूंदों पे इख़्तियार कहाँ है ?
सागर को भी लहरों पे ऐतवार कहाँ है ?
हर शै नशीब है हुआ ऐशो आराम का ,
पर दिल को एक पल को भी करार कहाँ है ?
ऊँगली उठी कई बार की भगवान कहाँ है ?
वो सच्ची और प्यारी सी मुस्कान कहाँ है ?
झाँका नही कभी भी गिरेबान में अपने ,
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