अबतलक सपना रहा , काश सच होता सनम।।
उम्रभर को ना सहीं , पल दो पल के ही लिए,
मैं तेरी जुल्फों के नीचे , चैन से सोता सनम।
दिल में हूँ कब से दबाये , दर्द का इक जलजला,
चाहूँ लग तेरे गले से , फुटकर रोता सनम।
सोंचा था आबाद होंगे , हम तुम्हारे इश्क से,
तुने सबकुछ ले लिया , पास में जो था सनम।
तू अगर लौटा जो देता , दिल मेरा बस एकबार ,
फिर कभी राहेवफा में , दिल नहीं खोता सनम।
कसमें वादे याद आते , तुझको भी जब बेपनाह ,
तू भी अपने पाप दिल के , आंसू से धोता सनम।
मार के मेरी शख्सियत को , तू बना है बेगुनाह,
फिर रहा हूँ दरबदर मैं , लाश को ढ़ोता सनम।
उम्रभर को ना सहीं , पल दो पल के ही लिए,
मैं तेरी जुल्फों के नीचे , चैन से सोता सनम।
दिल में हूँ कब से दबाये , दर्द का इक जलजला,
चाहूँ लग तेरे गले से , फुटकर रोता सनम।
सोंचा था आबाद होंगे , हम तुम्हारे इश्क से,
तुने सबकुछ ले लिया , पास में जो था सनम।
तू अगर लौटा जो देता , दिल मेरा बस एकबार ,
फिर कभी राहेवफा में , दिल नहीं खोता सनम।
कसमें वादे याद आते , तुझको भी जब बेपनाह ,
तू भी अपने पाप दिल के , आंसू से धोता सनम।
मार के मेरी शख्सियत को , तू बना है बेगुनाह,
फिर रहा हूँ दरबदर मैं , लाश को ढ़ोता सनम।
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