मैं भी भली हूँ और तू भी भला है , फिर क्यूँ कह रहे हो जमाना बुरा है,
जो हम तुम निभाते रहे कसमें -वादे , क्यों हो बेवफाई ये धोखा कहाँ है।
जमाने को मुजरिम कहे जा रहे हो , जमाना तो हमसे और तुमसे बना है,
हम में से ही कोई गद्दार होगा , जमाना बेचारा बेवजह पीस रहा है।
बुरे पे अच्छाई का पानी चढ़ाके , दमकता चमकता हर इक चेहरा है,
मिलावट की इतनी बुरी लत पड़ी है , है ईमान कम ज्यादा धोखा भरा है।
छुपाते रहे अपनी कमजोरियां हम , जमाने को हम ने बुरा कह दिया है,
हमें है पता वो न शिकवा करेगा , तभी नाम बदनाम उसका किया है।
जो झाँका किये एकदिन दिल के अंदर , तो देखा की भगवान सोया पड़ा है,
जगाया बहुत उनको पर वो न जागे , हुई ये खबर की वो हमसे खफा है।
ये पूछा जब हमने बताओ बस इतना , भला हमसे ऐसी हुई क्या खता है ,
वो कहने लगे पूजते तुम मुझे हो , मगर तुझमे आदत सब शैतान का है।
बनाया है मैंने ही सबको जहाँ में , मगर सब मुझे ही बनाने लगा है ,
समझने लगा है बड़ा खुद को मुझसे , मेरी रहमतों को भुलाने लगा है।
वाकिफ हूँ मैं तेरी हर एक नस से , नासमझ फिर भी मुझसे छुपाने लगा है,
करता है कम और दिखता है ज्यादा , बहुत दूर मुझसे तू जाने लगा है।
बदल अपनी आदत बना पाक दिलको , मिटा दे भरम वो जो तुझमें भरा है,
संभलने का तू आज संकल्प करले , भुला दूंगा मैं भूल मेरा दिल बड़ा है।
मतलब - परस्ती फरेबी में पड़ के , खुद को ही धोखा दिए जा रहा है,
बुराई को अपनी मिटाता नहीं है , कहता है सबको जमाना बुरा है।
जो हम तुम निभाते रहे कसमें -वादे , क्यों हो बेवफाई ये धोखा कहाँ है।
जमाने को मुजरिम कहे जा रहे हो , जमाना तो हमसे और तुमसे बना है,
हम में से ही कोई गद्दार होगा , जमाना बेचारा बेवजह पीस रहा है।
बुरे पे अच्छाई का पानी चढ़ाके , दमकता चमकता हर इक चेहरा है,
मिलावट की इतनी बुरी लत पड़ी है , है ईमान कम ज्यादा धोखा भरा है।
छुपाते रहे अपनी कमजोरियां हम , जमाने को हम ने बुरा कह दिया है,
हमें है पता वो न शिकवा करेगा , तभी नाम बदनाम उसका किया है।
जो झाँका किये एकदिन दिल के अंदर , तो देखा की भगवान सोया पड़ा है,
जगाया बहुत उनको पर वो न जागे , हुई ये खबर की वो हमसे खफा है।
ये पूछा जब हमने बताओ बस इतना , भला हमसे ऐसी हुई क्या खता है ,
वो कहने लगे पूजते तुम मुझे हो , मगर तुझमे आदत सब शैतान का है।
बनाया है मैंने ही सबको जहाँ में , मगर सब मुझे ही बनाने लगा है ,
समझने लगा है बड़ा खुद को मुझसे , मेरी रहमतों को भुलाने लगा है।
वाकिफ हूँ मैं तेरी हर एक नस से , नासमझ फिर भी मुझसे छुपाने लगा है,
करता है कम और दिखता है ज्यादा , बहुत दूर मुझसे तू जाने लगा है।
बदल अपनी आदत बना पाक दिलको , मिटा दे भरम वो जो तुझमें भरा है,
संभलने का तू आज संकल्प करले , भुला दूंगा मैं भूल मेरा दिल बड़ा है।
मतलब - परस्ती फरेबी में पड़ के , खुद को ही धोखा दिए जा रहा है,
बुराई को अपनी मिटाता नहीं है , कहता है सबको जमाना बुरा है।
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