इठलाती तितलियाँ , कुछ बलखाती तितलियाँ
छोटी-छोटी बातों पे भी , खिलखिलाती तितलियाँ इस डाल से उस डाल पे , हर डाल पे बैठे
आती नहीं है हाथ में , उड़ जाती तितलियाँ
जो आ गया करीब , फिर न दूर जा सका
जो दूर हो उसे पास , बुलाती तितलियाँ
दंग है जमाना इनके , जलवों के आगे
नखरों से सबके होश , उड़ाती तितलियाँ
अब कौन करे मंदिरों में , पूजा अर्चना
आजकल तो है दिलों में , पूजाती तितलियाँ
वो भूल गया अपने , सारे सपने इरादे
है आजकल तो सपनों में , आती तितलियाँ
उड़ गए सब संस्कार , धूल की तरह
नए-नए तजुर्बे अब , सिखलाती तितलियाँ
टूट जातें हैं पलों में , बांध सब्र के
सोये हुए अरमान है , जगाती तितलियाँ
आँखों से मिलती आँखें , बातों से मिलती बातें
पर दिल से दिल कभी ना , मिलाती तितलियाँ
वो दूर हुए जा रहें हैं , अपनें अपनों से
क्योंकि ज्यादा प्यार है , जताती तितलियाँ
माँ-बाप सफलता की , चाहत में मर रहें
बेटे को असफलता की , लत लगाती तितलियाँ
उसको नहीं पसंद , जमानें की उलझनें
लगती है बुरी दुनियां , बस भाती तितलियाँ
बढ़ती गई नजदीकियां , मिटता गया भरम
आँखों से शरम लाज , है हटाती तितलियाँ
जब तक हो भरा जेब , बनी दोस्ती रहें
फक्करों से अपना साथ , है छुड़ाती तितलियाँ
ये मौज मस्ती के लिए , करती हैं यारियां
और नाम दोस्ती का , है बताती तितलियाँ
जीता है इनसे वो ही , इच्छा दृढ रही जिनकी
बचना की हर मोड़ पे , बहकाती तितलियाँ
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