कोई जख्मो पे जब मरहम लगा देता है ,
कई दर्द उठ के , दिल को रुला देता है |
दुश्मन यादें है जो , जीने भी नही देते ,
और रो भी नही पाते , की हंसा देता है |
कुछ अपने हैं जो अपने से नही लगते ,
कहीं तो गैर को खुदा अपना बना देता है |
पास सागर के भी प्यासे ही रह जाते हैं,
कहीं दो बूंद भी मरते को जिला देता है |
कई दर्द उठ के , दिल को रुला देता है |
दुश्मन यादें है जो , जीने भी नही देते ,
और रो भी नही पाते , की हंसा देता है |
कुछ अपने हैं जो अपने से नही लगते ,
कहीं तो गैर को खुदा अपना बना देता है |
पास सागर के भी प्यासे ही रह जाते हैं,
कहीं दो बूंद भी मरते को जिला देता है |
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