Tuesday, May 29, 2012

बेचैनियाँ

बेचैनियों  से दो पल  को  राहत तो कर सकूं ,
तुझसे अपने गम की, शिकायत तो कर सकूं |

चाहे  न  चाहे  तू   मुझे ,  मर्जी  तेरी   मगर  ,
तू  चाहे  मुझे  इतनी  मै चाहत तो कर सकू |

ए  मेरे  खुदा   तुझे  उलझन  है  क्या  बता ,
इतना तो करम हो , मै इबादत तो कर सकू |

ये  बता  मै  क्यूँ  नही तेरे प्यार के काबिल ,
कम से कम मैं कम, ये आफत तो कर सकू |

तू  ही  बता  मेरे  लिए , कोई  रास्ता हो तो ,
कुछ भी मै तेरे प्यार के, बाबत तो कर सकूं |

इक बार साथ चलने का भरोसा जो दे मुझे,
तेरे लिए किस्मत से ,बगावत तो कर सकू |

No comments:

Post a Comment