करें हम कब तलक शिकवा की अब तक कुछ नही बदला ,
चलो कुछ तुम बदल जाओ , चलो कुछ हम बदल जाए ।
भला अब सोचना कैसा , की जब इक दुसरे के हम ,
जरा तुम मुझमे ढल जाओ , जरा हम तुममे ढल जाये ।
जिन्दगी की कठिन राहें , कितनी आसन बन जाये ,
कभी जो तुम सम्भल जाओ , कभी जो हम सम्भल जाये ।
चलो मांगे दुआ रब से , ये इश्क - जादूगरी जो है ,
कुछ तुमपे भी चल जाये , कुछ हमपे भी चल जाये ।
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