Saturday, June 2, 2012

गर्मी ,

पागल बना रही  है  ये उमस भड़ी गर्मी ,
नागिन का रूप लेके जैसे डस रही गर्मी | 

पंखे ,  ए सी , कूलर सब बेकार कर दिए,
लाचार करके सबको कैसे हंस रही गर्मी |

लगता है की अच्छे नही है  इसके इरादे ,
जैसे की जान  लेने  को  तरस रही गर्मी |

झुलसाये जा रही है ये हरियाली धरा की,
शोलों की तरह नभ से है बरस रही गर्मी |

ठंडी  हवा  के  झोंके  जैसे  खाब  बन गये ,
व्याकुल हुए दिन रात यूँ बेबस करे गर्मी |

जाने क्या इसको बैर है , हमसे निकालना ,
कोई इसे समझाओ की अब बस करे गर्मी |



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