पांडित्य दिखने की खातिर , हमने न शब्द को क्लिष्ट किया ,
बस सीधा - सीधा प्यार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
ना दुनिया के उलझन लिखे , न नफरत भरे जलन लिखे ,
बस प्यार भरा तकरार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
सपने लिखे ,मुस्कान लिखा , दिल का सब अरमान लिखा ,
चाहत से भरा संसार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
कभी राधा का घुंघट लिखा , कान्हा लिखा पनघट लिखा ,
जीवन का सच्चा सार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
कभी साजन कभी संदेश लिखा , गाँव लिखा परदेश लिखा ,
यौवन का साज सृंगार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
अपनी बातें बतला कर के , हारे उनको समझा कर के ,
फिर भी उनको आभार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
बस सीधा - सीधा प्यार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
ना दुनिया के उलझन लिखे , न नफरत भरे जलन लिखे ,
बस प्यार भरा तकरार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
सपने लिखे ,मुस्कान लिखा , दिल का सब अरमान लिखा ,
चाहत से भरा संसार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
कभी राधा का घुंघट लिखा , कान्हा लिखा पनघट लिखा ,
जीवन का सच्चा सार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
कभी साजन कभी संदेश लिखा , गाँव लिखा परदेश लिखा ,
यौवन का साज सृंगार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
अपनी बातें बतला कर के , हारे उनको समझा कर के ,
फिर भी उनको आभार लिखा , वो ना समझे तो क्या कीजे |
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