किसी के दिल से दिल ने जोड़ा ऐसा सिलसिला ही क्यों ,
की उससे बिछड़े तो दिल को हुआ इतना गिला ही क्यों |
बस किस्मत से इतनी सी शिकायत रही हमको ,
की हरबार धोखा वक्त से हमको मिला ही क्यों |
की उससे बिछड़े तो दिल को हुआ इतना गिला ही क्यों |
बस किस्मत से इतनी सी शिकायत रही हमको ,
की हरबार धोखा वक्त से हमको मिला ही क्यों |
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