मुझे इंसान वो भला- भला जरूर लगता है ,
मगर उसकी निगाहों में कोई फितूर लगता है ।
ऐसा लगता है छुपाता है मुझसे राज कोई ,
उसकी आँखों में इक अलग सा ही सुरूर लगता है ।
वो मेरे पास आता है तो वो कुछ और होता है ,
मगर जब दूर जाता है बड़ा मगरूर लगता है ।
यूँ लगता है दिल उसका नही सुनता है अब उसकी ,
वो अपने आप से हालात से मजबूर लगता है ।
मगर उसकी निगाहों में कोई फितूर लगता है ।
ऐसा लगता है छुपाता है मुझसे राज कोई ,
उसकी आँखों में इक अलग सा ही सुरूर लगता है ।
वो मेरे पास आता है तो वो कुछ और होता है ,
मगर जब दूर जाता है बड़ा मगरूर लगता है ।
यूँ लगता है दिल उसका नही सुनता है अब उसकी ,
वो अपने आप से हालात से मजबूर लगता है ।
बहुत लाजवाब ग़ज़ल ... जुदा जुदा से शेर ...
ReplyDeleteशुक्रिया Digamber Naswa ji
ReplyDelete