Wednesday, May 28, 2014

आज की नई खबर

कितना अजीब लगता है जब आप अपनी ही रचना किसी और के पेज पर देखते हैं ।
वो भी बिना अपने नाम के । सचमुच मैं आज फिर चौक गई । कमाल है न ।
इसपे एक पंक्ति सुनाती हूँ बिलकुल ताजा ताजा है।


* न मैं न मेरा नाम ना मेरी बात थी ,
ताज्जुब ये है मैं फिर भी उसके साथ थी ।*  

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