हम गिर के सम्भलना जानते हैं ।
तुम्हारे बिन भी चलना जानते हैं ।
शमां लिखी न जो किस्मत में तो क्या ,
जुगनूँ की तरह तन्हा भी जलना जानते हैं ।
सितमगर तू सितम करता जा जितने ,
हम दुश्वारियों से भी निकलना जानते हैं ।
नजर यूँ फेरने वाले न तू सोंचा क्यूँ पहले
तुम्हारी ही तरह हम भी बदलना जानते हैं ।
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