मैं जीने की कवायत कर रहा हूँ ।
मैं अब खुद से मुहब्बत कर रहा हूँ ।
बहुत दिन रह लिए इस दिल के बहकावे में यारों ,
मैं अब दिल से बगावत कर रहा हूँ ।
फिर लगने लगे हैं पंख अरमानों को मेरे ,
मैं फिर उड़ने की चाहत कर रहा हूँ ।
सुन ऎ गम मैं अब खुद को तबाह होने न दूंगा ,
मैं फिर तूफान से लड़ने की हिम्मत कर रहा हूँ ।
मैं अब खुद से मुहब्बत कर रहा हूँ ।
बहुत दिन रह लिए इस दिल के बहकावे में यारों ,
मैं अब दिल से बगावत कर रहा हूँ ।
फिर लगने लगे हैं पंख अरमानों को मेरे ,
मैं फिर उड़ने की चाहत कर रहा हूँ ।
सुन ऎ गम मैं अब खुद को तबाह होने न दूंगा ,
मैं फिर तूफान से लड़ने की हिम्मत कर रहा हूँ ।
No comments:
Post a Comment