मेरे सब्र का इम्तहां ले रहे हो ।
बड़े शौक से मेरी जां ले रहे हो ।
इक हम हैं की दीदार को हैं तरसते ,
इक तुम हो की परदा गिरा ले रहे हो ।
मिलाते नही हो नजर ,मिल गई तो ,
नजर बेरुखी से चुरा ले रहे हो ।
तुम्हे क्या पता हाल दीवानगी का ,
बस दिल्ल्गी का मजा ले रहे हो ।
मुद्दत हुई चाहते - चाहते अब ,
न क्यूँ चाहतों का सिला दे रहे हो ।
बताओ ऐ दिल क्या है हसरत तुम्हारी ,
न दिल दे रहे हो न जां ले रहे हो ।
बड़े शौक से मेरी जां ले रहे हो ।
इक हम हैं की दीदार को हैं तरसते ,
इक तुम हो की परदा गिरा ले रहे हो ।
मिलाते नही हो नजर ,मिल गई तो ,
नजर बेरुखी से चुरा ले रहे हो ।
तुम्हे क्या पता हाल दीवानगी का ,
बस दिल्ल्गी का मजा ले रहे हो ।
मुद्दत हुई चाहते - चाहते अब ,
न क्यूँ चाहतों का सिला दे रहे हो ।
बताओ ऐ दिल क्या है हसरत तुम्हारी ,
न दिल दे रहे हो न जां ले रहे हो ।
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