किसी किसी पे रब ने इतनी इनायत की है ।
की यहां हर एक ने उसी से मुहब्बत की है ।
वो रूठकर ये कह गए हैं अब न बोलेंगे ,
एक ही दिल में मुहब्बत भी बगावत भी है ।
वो बेवफा हैं किसी से भी दिल लगा लेंगे ,
आजमाइश में तो हमारी शराफत ही है ।
न जो समझ सके हैं दिल की बंदगी को कभी ,
उन्हीं के हाथ में इस दिल की हिफाजत भी है ।
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