खुशियों का ऐतवार हमें , हो तो किस तरह ,
उससे मिलन की आस में ,कितने बरस गयें ।
उसको मेरे एहसास की , खबर भी नही है ,
लगता है अब बेकार में , कितने बरस गये ।
उससे मिलन की आस में ,कितने बरस गयें ।
उसको मेरे एहसास की , खबर भी नही है ,
लगता है अब बेकार में , कितने बरस गये ।
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