Wednesday, February 6, 2013

जागती आँखें जागने का सबब पूछते हैं

जागती आँखें जागने का , सबब पूछते हैं ।
आने वाले कहो आओगे  , कब पूछते हैं ।

मेरे हिस्से की ख़ुशी , मैंने खो दी है कहीं ,
मुस्कुराएंगे कब उदास  , ये लब पूछते हैं ।
जागती आँखें जागने का , सबब पूछते हैं ।

क्यूँ भरी दुनियां में तन्हा तू भटकता है बता ,
तेरा हमदम है कहाँ मुझसे , सब पूछते हैं ।
जागती आँखें जागने का , सबब पूछते हैं ।

हलक में दर्द जहर बनके, जब  उतर आया  ,
हाल बीमार का सब आके  , अब  पूछते हैं ।
जागती आँखें जागने का , सबब पूछते हैं ।

रोज कहता हैं दिल , वो मिलेंगे तो पूछेंगे ,
भूल जाते हैं पास आके , वो जब पूछते हैं ।
जागती आँखें जागने का , सबब पूछते हैं ।

1 comment:

  1. बहुत ही लाजबाब लिखा है,बहुत ही सुन्दर।

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