हर रोज तमाशे होते हैं , पर्दे गिरतें हैं उठते हैं ।
इस इश्क की राहों में जाने कितने बनते हैं लुटते हैं ।
किसने बोल जो मौज में हैं , उनके दिल में ये खार नही ,
जब इश्क की बातें चलती हैं , उनके भी दिल में चुभते हैं ।
ये नये दौर के नये प्यार , हर चौक - चौराहें दीखते हैं ,
अफ़सोस ये अगले वेलेंटाइन डे तक भी तो न टिकते हैं ।
इस इश्क की राहों में जाने कितने बनते हैं लुटते हैं ।
किसने बोल जो मौज में हैं , उनके दिल में ये खार नही ,
जब इश्क की बातें चलती हैं , उनके भी दिल में चुभते हैं ।
ये नये दौर के नये प्यार , हर चौक - चौराहें दीखते हैं ,
अफ़सोस ये अगले वेलेंटाइन डे तक भी तो न टिकते हैं ।
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