दुःख के दिन यूँ लम्बे होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
जगती आँखें जगती रातें ,टूटे हुए दिल की दुनियां ,
ऐसे हाल में हम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
ना गम है ना मातम कोई ,फिर भी होश नही बांकी ।
दिन ऐसे बेदम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
क्या होली है क्या दिवाली , अपने हर दिन इक जैसे ,
बेरंगी हर मौसम होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
रखे रहें ताउम्र छुपाकर , दुश्मन से अपने दिल को ,
कातिल अपने सनम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
हाल पे मेरे रोने आये , वो भी तरस खाकर इकदिन,
यूँ दिल के मातम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
मैंने कहा ,ले जा गम अपने , अब न उठाये जाते हैं ,
तेरे ऐसे करम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
चार दिनों की चांदनी थे बस , प्यार वफा वाली बातें ,
झूठे तेरे कसम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
हंसकर वो बस इतना बोले , हार गये हमदम मेरे ,
उनके और जुलम भी होंगे , किसने सोंचा था ।
प्यार में इतने गम भी होंगे , किसने सोंचा था ।