Wednesday, April 11, 2012

जाने तुम कब समझोगे।

तनहा जीना मुश्किल है, जाने तुम कब समझोगे ।
खोया - खोया सा दिल है , जाने तुम कब समझोगे।

दुनियां भर की बातों में ,  क्यूँ तुम खोये रहते हो ,
इन सबसे क्या हासिल है ,जाने तुम कब समझोगे ।

देख लो मेरी आँखों में , आज   भी तेरे  सपने हैं  ,
तू  ही दिल की मंजिल है , जाने तुम कब समझोगे ।

दूर हुए फिर भी तुझसे , जुदा न दिल को कर पाए ,
तू तो मुझमें शामिल है , जाने तुम कब समझोगे ।

इस दिल के भोलेपन पे , क्यूँ  तुम  चोट लगते  हो ,
पत्थर नही, मेरा दिल है , जाने तुम कब समझोगे।




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