उसके प्यार में दिल इस तरह बीमार रहा ,
दर्द पा कर भी उसी का ये तलबगार रहा ।
बेवफा प्यार के सितम हैं गंवारा इसको ,
जहाँ के रुतवे भी दिल के लिए बेकार रहा ।
कितना समझाया की नादान मेरी मान ले तू ,
मगर हर सीख से मेरी इसे इनकार रहा ।
अब न ये मिला, न वो मिला, गया सबकुछ ,
दरबदर यार - यार करके अब पुकार रहा ।
खुदा को कोस रहा उसकी खुदाई के लिए ,
जहाँ की बातों पे दिल को न ऐतवार रहा ।
जो मिला उसको तो दिल ये अपना न सका ,
जो मिला न,उसकी खातिर खुद को मार रहा ।
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