डूब तो जाऊ तेरी आँखों में लेकिन ,
माफ करना , मै नशा करता नहीं ।
सुलझा तो दूँ , मै तेरी जुल्फें मगर ,
मै भंवर के , जाल में पड़ता नहीं ।
जाने पर क्या बात है तुझमे सनम ,
देखकर तुझको , ये जी भरता नहीं ।
मान बैठा , तू मेरे जज्बात को मेरी खता ,
क्या करूँ, सच कहने से मै कभी डरता नहीं ।
लाख कोशिश की , की सच को फसाना मान लूँ
कह न पाया , देख तुझको आह मै भरता नहीं ।
इनकार पे इनकार , मेरे यार तू करता रहे ,
फर्क क्या , मै प्यार तेरे दम पे तो करता नहीं ।
माफ करना , मै नशा करता नहीं ।
सुलझा तो दूँ , मै तेरी जुल्फें मगर ,
मै भंवर के , जाल में पड़ता नहीं ।
जाने पर क्या बात है तुझमे सनम ,
देखकर तुझको , ये जी भरता नहीं ।
मान बैठा , तू मेरे जज्बात को मेरी खता ,
क्या करूँ, सच कहने से मै कभी डरता नहीं ।
लाख कोशिश की , की सच को फसाना मान लूँ
कह न पाया , देख तुझको आह मै भरता नहीं ।
इनकार पे इनकार , मेरे यार तू करता रहे ,
फर्क क्या , मै प्यार तेरे दम पे तो करता नहीं ।
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