सजी थी मंडी इक , ईमान बेचने के लिए ।
हम जरा बैठे , खरीददार देखने के लिए ।
वो आये अपना रुतबा , कुछ यूँ दिखाते हुए ।
अपनी मक्कारियां , मुस्कान से छुपाते हुए ।
ऐसी अकड की हर बात पे , एहसान हुआ ।
इनके आगे तो इन्सान , इक सामान हुआ ।
वो तौलने लगे आँखों से , शख्सियत सबकी ।
हमने तो बोल दिया , ईमान चीज है रब की ।
वो झुंझला उठे , और हुँकार सरे आम भरा ।
चीख के बोले वो , तेरे जैसा ही बेनाम मरा ।
लगे तारीफ में अपनी वो , कसीदा पढ़ने ।
झूठ की मिटटी से , सच की कृतियाँ गढ़ने ।
सर से ऊपर हुआ पानी और हमने ये कहा ।
ऐ खरीददार , मेरे ईमान का भी दाम लगा ।
उसने दौलत सोहरत का फिर बखान किया ।
वो' बे ' ईमान है , मैंने भी उसे जान लिया ।
मैंने इक शर्त रखा , सुन तुझे स्वीकार है तो ।
ले मै बेमोल तेरा , गर तू ईमानदार है तो ।
वो सकपका के भागा, और अपनी राह लिया ।
हँसी आई मुझे , मैंने फिर इक सलाह दिया ।
बिना ईमान के इन्सान , एक लाश है बस ।
तू कब का मर चुका , बांकी तेरी साँस है बस ।
हम जरा बैठे , खरीददार देखने के लिए ।
वो आये अपना रुतबा , कुछ यूँ दिखाते हुए ।
अपनी मक्कारियां , मुस्कान से छुपाते हुए ।
ऐसी अकड की हर बात पे , एहसान हुआ ।
इनके आगे तो इन्सान , इक सामान हुआ ।
वो तौलने लगे आँखों से , शख्सियत सबकी ।
हमने तो बोल दिया , ईमान चीज है रब की ।
वो झुंझला उठे , और हुँकार सरे आम भरा ।
चीख के बोले वो , तेरे जैसा ही बेनाम मरा ।
लगे तारीफ में अपनी वो , कसीदा पढ़ने ।
झूठ की मिटटी से , सच की कृतियाँ गढ़ने ।
सर से ऊपर हुआ पानी और हमने ये कहा ।
ऐ खरीददार , मेरे ईमान का भी दाम लगा ।
उसने दौलत सोहरत का फिर बखान किया ।
वो' बे ' ईमान है , मैंने भी उसे जान लिया ।
मैंने इक शर्त रखा , सुन तुझे स्वीकार है तो ।
ले मै बेमोल तेरा , गर तू ईमानदार है तो ।
वो सकपका के भागा, और अपनी राह लिया ।
हँसी आई मुझे , मैंने फिर इक सलाह दिया ।
बिना ईमान के इन्सान , एक लाश है बस ।
तू कब का मर चुका , बांकी तेरी साँस है बस ।
No comments:
Post a Comment