1
लोग कहते है मुझे बड़ी मगरूर मै हूँ ,
अपनी बेपरवाह हुशन के गुरुर में हूँ |
नादान हैं उनको जरा समझाए कोई ,
मै दीवानी तेरी , तेरे ही सुरूर में हूँ |
२
कहूँ मै किस तरह, मुझको तेरी परवाह नहीं |
दिल में तेरे सिवा अब , कुछ भी चाह नहीं |
अजीब दास्ताँ है , जिंदगी की ऐ हमदम |
हमारी एक है मंजिल , पर एक राह नहीं |
लोग कहते है मुझे बड़ी मगरूर मै हूँ ,
अपनी बेपरवाह हुशन के गुरुर में हूँ |
नादान हैं उनको जरा समझाए कोई ,
मै दीवानी तेरी , तेरे ही सुरूर में हूँ |
२
कहूँ मै किस तरह, मुझको तेरी परवाह नहीं |
दिल में तेरे सिवा अब , कुछ भी चाह नहीं |
अजीब दास्ताँ है , जिंदगी की ऐ हमदम |
हमारी एक है मंजिल , पर एक राह नहीं |