हकीकत को रखना साथ , खुदाई समझके ,
यादें मिटा देना मेरी , सौदाई समझके ।
दिल से जला देना मेरी यादों का गुलिस्तां ,
मुझको भुला देना सनम,परछाई समझके ।
इतना कहो मेरा कहा ,कब मानते हो तुम ,
मजबूरियां जो हैं मेरी , सब जानते हो तुम ।
कितना कहा इन्सान सब मिट्टी के बने हैं ,
फिर क्यूँ मुझे अपना, रब मानते हो तुम ।
सुनो कभी आके जो मेरे दिल की सदा है ,
मुझसे ही करता भला , क्यूँ मेरी दुआ है ।
आती नही समझ तुम्हें रस्मों -रिवाज की ,
कहता है तू मुझसे की मेरा, रूठा खुदा है ।
यादें मिटा देना मेरी , सौदाई समझके ।
दिल से जला देना मेरी यादों का गुलिस्तां ,
मुझको भुला देना सनम,परछाई समझके ।
इतना कहो मेरा कहा ,कब मानते हो तुम ,
मजबूरियां जो हैं मेरी , सब जानते हो तुम ।
कितना कहा इन्सान सब मिट्टी के बने हैं ,
फिर क्यूँ मुझे अपना, रब मानते हो तुम ।
सुनो कभी आके जो मेरे दिल की सदा है ,
मुझसे ही करता भला , क्यूँ मेरी दुआ है ।
आती नही समझ तुम्हें रस्मों -रिवाज की ,
कहता है तू मुझसे की मेरा, रूठा खुदा है ।
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