मैंने कहा चल रुत , बनाते हैं कहानी ,
छोड़ अपना रुतबा , करते हैं नादानी ।
कब तक करें हम ,वक्त बदलने का इंतजार ,
हम ही बदल के , वक्त क्यूँ न करदे सुहानी ।
कोयल की तरह गाएं , बागों में जाके हम ,
बादल को जाके छेड़े तो, बरसाए वो पानी ।
हमको जो हो पसंद , वो रिवाज हम गढें,
कब तक फिरें कंधों पे लिए, बोझ पुरानी ।
वक्त की कमान , हमें सौंपे वो आके ,
उनको कोई खबर तो दे, आई है जवानी ।
मुमकिन नही हमारे , हौसलों को मापना ,
दिन ही नहीं हम रातें भी, रखते हैं तूफानी ।
कल को कोई समझाये की वो बीत गया है ।
अब राज करेगी जहाँ पे, " आज " दीवानी ।
छोड़ अपना रुतबा , करते हैं नादानी ।
कब तक करें हम ,वक्त बदलने का इंतजार ,
हम ही बदल के , वक्त क्यूँ न करदे सुहानी ।
कोयल की तरह गाएं , बागों में जाके हम ,
बादल को जाके छेड़े तो, बरसाए वो पानी ।
हमको जो हो पसंद , वो रिवाज हम गढें,
कब तक फिरें कंधों पे लिए, बोझ पुरानी ।
वक्त की कमान , हमें सौंपे वो आके ,
उनको कोई खबर तो दे, आई है जवानी ।
मुमकिन नही हमारे , हौसलों को मापना ,
दिन ही नहीं हम रातें भी, रखते हैं तूफानी ।
कल को कोई समझाये की वो बीत गया है ।
अब राज करेगी जहाँ पे, " आज " दीवानी ।
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