रेत पर लिखी कहानी बन गई ।
जिंदगी खंडहर पुरानी बन गई ।
घर का छप्पर ले गया तूफान जब ,
मेरे घर दरिया तूफानी बन गई ।
हो गई जब से दुआ पूरी मेरी ,
दिल पे उसकी मेहरबानी बन गई ।
ना कोई सबूत ना कोई गवाह ,
मुजरिम मैं जरिये-जुबानी बन गई ।
वो दिवाना इक जनम का और मैं ,
सात जन्मों की दीवानी बन गई ।
जिंदगी खंडहर पुरानी बन गई ।
घर का छप्पर ले गया तूफान जब ,
मेरे घर दरिया तूफानी बन गई ।
हो गई जब से दुआ पूरी मेरी ,
दिल पे उसकी मेहरबानी बन गई ।
ना कोई सबूत ना कोई गवाह ,
मुजरिम मैं जरिये-जुबानी बन गई ।
वो दिवाना इक जनम का और मैं ,
सात जन्मों की दीवानी बन गई ।
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