गुनाह तेरी नही मैंने ही खता की होगी ।
मेरी ही बद्दुआ मुझको ही लग गई होगी ।
तू जो दोस्ती निभा न सका है दिल से ,
जरूर मेरी दोस्ती में ही कमी होगी । ।
मेरी ही बद्दुआ मुझको ही लग गई होगी ।
तू जो दोस्ती निभा न सका है दिल से ,
जरूर मेरी दोस्ती में ही कमी होगी । ।
No comments:
Post a Comment