एक मेरे जीवन कि रस्सी और कुल्हाड़ी पड़े हजार ।
एक ही जिद उसकी और मेरी अपनी जीत और उसकी हार ।।
एक जरा सी छोटी नैया और तेज पानी का धार ,
चट्टानों का आना - जाना और लहर का अत्याचार ।।
हम भी उस आदम के बच्चें जिसमें साहस भरा अपार ।
नन्ही सी पतवार भी लेकर चलें तो कर लें सागर पार ।।
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