Tuesday, January 28, 2014

माँ रह गई उसी गाँव के कच्चे मकान में

पढ़-लिख के बेटे बन गये अफसर जहान में ।
माँ रह गई उसी गाँव के कच्चे मकान में ।।


खिल-खिल के फूल चढ़ गये मंदिर में शान से ,
बस बच गये सूखे हुए पत्ते बगान में ।।




2 comments:

  1. आपकी इस रचना को म्हारा हरियाणा ब्लॉग पर साँझा किया गया है

    संजय भास्कर
    http://bloggersofharyana.blogspot.in

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  2. संजय भास्‍कर ji aapka bhut bhut aabhar.

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