बैठे रहे किनारे पे पर प्यास रही बाकी ।
उसके दिल में प्यार नही है चला गया कहके ,
जाते - जाते जान ले गया सांस रही बाकी ।
पतझड़ था और सूखा था उसके जाने के बाद ,
उलझन भरी न जाने कितनी मास रही बाकी ।
लाली थी न मेहँदी थी न काजल ना घुंघरू ,
आँखें थी दो खुली कि उनमें आस रही बाकि ।
ना कोई खत था न कोई फूल नही तोहफा ,
यादें ही यादें बस मेरे पास रही बाकि ।
उसके दिल में प्यार नही है चला गया कहके ,
जाते - जाते जान ले गया सांस रही बाकी ।
पतझड़ था और सूखा था उसके जाने के बाद ,
उलझन भरी न जाने कितनी मास रही बाकी ।
लाली थी न मेहँदी थी न काजल ना घुंघरू ,
आँखें थी दो खुली कि उनमें आस रही बाकि ।
ना कोई खत था न कोई फूल नही तोहफा ,
यादें ही यादें बस मेरे पास रही बाकि ।
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