इक तू नही शिकवा-गिला करता नही कोई ।
इक तू नही दिल से मिला करता नही कोई ।।
कहता नही सुनता नही कोई भला - बुरा ,
इक तू नही कोई दर्द समझता नही मेरा ।
उलझन ये जमाने की दुनियां के झमेले ,
इक तू नही चुपचाप ही सहते हैं अकेले ।
बेरंग से लगते हैं ये मौसम ये बहारें ,
इक तू नही भाते नही हसीन नजारे ।
कोई रूठता नही है मनाता नही कोई ,
जो तू नही तो दोस्त बुलाता नही कोई ।
इक तू नही दिल से मिला करता नही कोई ।।
कहता नही सुनता नही कोई भला - बुरा ,
इक तू नही कोई दर्द समझता नही मेरा ।
उलझन ये जमाने की दुनियां के झमेले ,
इक तू नही चुपचाप ही सहते हैं अकेले ।
बेरंग से लगते हैं ये मौसम ये बहारें ,
इक तू नही भाते नही हसीन नजारे ।
कोई रूठता नही है मनाता नही कोई ,
जो तू नही तो दोस्त बुलाता नही कोई ।
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