पत्थर से टकराकर पत्थर बन जायेंगे लगता है ।
करो कोशिशें मोम न फिर हम बन पायेंगे लगता है ।
चाँद-सितारे ताक-ताक के रात-रात भर जाग-जाग के ,
शायर बने - बने न पागल बन जायेंगे लगता है ।
इधर-उधर कि ताक-झाँक से धूल राह कि फांक-फांक के,
आशिक बने न आवारा तो बन जायेंगे लगता है ।
तेरे चक्कर लगा-लगा के तोहफे तुझको दिला-दिला के ,
बने न शायद पति भिखारी बन जायेंगे लगता है ।
करो कोशिशें मोम न फिर हम बन पायेंगे लगता है ।
चाँद-सितारे ताक-ताक के रात-रात भर जाग-जाग के ,
शायर बने - बने न पागल बन जायेंगे लगता है ।
इधर-उधर कि ताक-झाँक से धूल राह कि फांक-फांक के,
आशिक बने न आवारा तो बन जायेंगे लगता है ।
तेरे चक्कर लगा-लगा के तोहफे तुझको दिला-दिला के ,
बने न शायद पति भिखारी बन जायेंगे लगता है ।
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