टेढ़े - मेढ़े रस्तों से जब राह प्यार कि मिले न तुमको ,
सीधे - सीधे आ जाना मैं प्रेम गली में रहती हूँ ।
दूर - दूर तक परछाई भी साथ नही जब देती हो ,
मुझको तुम महसूस करो मैं साथ तुम्हारे चलती हूँ ।
रात - रात जब नींद न आये सुबह लगे जब अलसाई ,
मूंद के आँखे मुझे बुलाना मैं खाबों में मिलती हूँ ।
झूठ और मक्कारी से जब थक जाओ तब सच कहना ,
कहीं तुम्हारे दिल में बनके कमीं तो नही खलती हूँ ।
सीधे - सीधे आ जाना मैं प्रेम गली में रहती हूँ ।
दूर - दूर तक परछाई भी साथ नही जब देती हो ,
मुझको तुम महसूस करो मैं साथ तुम्हारे चलती हूँ ।
रात - रात जब नींद न आये सुबह लगे जब अलसाई ,
मूंद के आँखे मुझे बुलाना मैं खाबों में मिलती हूँ ।
झूठ और मक्कारी से जब थक जाओ तब सच कहना ,
कहीं तुम्हारे दिल में बनके कमीं तो नही खलती हूँ ।
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