Theme of this blog is love and emotions attached . Songs , Gajals , Shayri written on this blog are completely my personal vies and feelings which i put into words. You can find different kind of emotion related to love and passion arranged into words which will touch your heart.
Friday, January 31, 2014
Thursday, January 30, 2014
Tuesday, January 28, 2014
Monday, January 27, 2014
बैठे रहे किनारे पे पर प्यास रही बाकी
बैठे रहे किनारे पे पर प्यास रही बाकी ।
उसके दिल में प्यार नही है चला गया कहके ,
जाते - जाते जान ले गया सांस रही बाकी ।
पतझड़ था और सूखा था उसके जाने के बाद ,
उलझन भरी न जाने कितनी मास रही बाकी ।
लाली थी न मेहँदी थी न काजल ना घुंघरू ,
आँखें थी दो खुली कि उनमें आस रही बाकि ।
ना कोई खत था न कोई फूल नही तोहफा ,
यादें ही यादें बस मेरे पास रही बाकि ।
उसके दिल में प्यार नही है चला गया कहके ,
जाते - जाते जान ले गया सांस रही बाकी ।
पतझड़ था और सूखा था उसके जाने के बाद ,
उलझन भरी न जाने कितनी मास रही बाकी ।
लाली थी न मेहँदी थी न काजल ना घुंघरू ,
आँखें थी दो खुली कि उनमें आस रही बाकि ।
ना कोई खत था न कोई फूल नही तोहफा ,
यादें ही यादें बस मेरे पास रही बाकि ।
Saturday, January 25, 2014
Friday, January 24, 2014
Wednesday, January 22, 2014
ये दिल है मेरा ना कि पत्थर का घर है
ये दिल है मेरा ना कि पत्थर का घर है ।
चलाये चले जा रहे हो हथौड़े ,
है सीसे का दिल टूट जाने का डर है ।
लगाते थे तुम जो हमे प्यार का लत ,
हम ये न समझे ये मीठा जहर है ।
तुम्हारे लिए बन गये सबसे काफिर ,
तुम ही पूछते हो कि आया किधर है ।
लो तुमने भी औकात अपनी दिखा दी,
थे पहले से ऐसे या कोई असर है ।
चलो शुक्रिया दिल सलामत तो छोड़ा ,
दिल बच गया है कि इतना शुकर है ।
चलाये चले जा रहे हो हथौड़े ,
है सीसे का दिल टूट जाने का डर है ।
लगाते थे तुम जो हमे प्यार का लत ,
हम ये न समझे ये मीठा जहर है ।
तुम्हारे लिए बन गये सबसे काफिर ,
तुम ही पूछते हो कि आया किधर है ।
लो तुमने भी औकात अपनी दिखा दी,
थे पहले से ऐसे या कोई असर है ।
चलो शुक्रिया दिल सलामत तो छोड़ा ,
दिल बच गया है कि इतना शुकर है ।
चलो दोस्तों आखिरी जाम पी लो
चलो दोस्तों आखिरी जाम पी लो ।
ये आँखों के पैमाने छलके पड़े हैं ,
छलकते हुए आंसू 'मै 'बन गये हैं ,
लो इक जाम फिर दोस्त के नाम पी लो ।
न जाने कि कल हम कहाँ तुम कहाँ हो ,
मिलन हो मय्यसर जुदाई लिखा हो ,
अभी ही अभी है ढली शाम पी लो ।
अभी रौशनी थी थे बैठे मजे से ,
ढली शाम उठके चले मैकदे से ,
लो जाते हुए फिर सरेआम पी लो ।
चलो दोस्तों आखिरी जाम पी लो ।
ये आँखों के पैमाने छलके पड़े हैं ,
छलकते हुए आंसू 'मै 'बन गये हैं ,
लो इक जाम फिर दोस्त के नाम पी लो ।
मिलन हो मय्यसर जुदाई लिखा हो ,
अभी ही अभी है ढली शाम पी लो ।
अभी रौशनी थी थे बैठे मजे से ,
ढली शाम उठके चले मैकदे से ,
लो जाते हुए फिर सरेआम पी लो ।
चलो दोस्तों आखिरी जाम पी लो ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ
दर्द तो है पर आंसू ना है कैसे रोऊ ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ ।
तुमको क्या तुम तो दिल के सौदागर निकले ,
छोड़ के मुझको राहों में अपने घर निकले ,
मैं भी तेरे जैसी बोलो कैसे होऊ ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ ।
दिल को थोड़ा वक्त तो दो तुम बिन रह लेगा ,
सहते - सहते इक दिन सारे गम सह लेगा,
एक बार में ही सारे गम कैसे खोऊ ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ ।
तुमको क्या तुम तो दिल के सौदागर निकले ,
छोड़ के मुझको राहों में अपने घर निकले ,
मैं भी तेरे जैसी बोलो कैसे होऊ ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ ।
दिल को थोड़ा वक्त तो दो तुम बिन रह लेगा ,
सहते - सहते इक दिन सारे गम सह लेगा,
एक बार में ही सारे गम कैसे खोऊ ।
नींद नहीं जब आँखों में तो कैसे सोऊ ।
Saturday, January 18, 2014
माँ कि बोली
सूरज - चाँद - सितारों से भी ज्यादा भोली लगती है ,
माँ कि कड़वी बातें भी मुझे मीठी गोली लगती है ।
माँ जब रूठ के कहती हैं जा मुझसे बात ही मत करना ,
माँ के गुस्से में मुझको इक छिपी ठिठोली लगती है ।
कभी बिमारी में जब कोई दवा असर कम करता है ,
माँ कि दुआ से भरी- पूरी तब मेरी झोली लगती है ।
मंदिर - मस्जिद सब के सब मिलते हैं माँ कि आंचल में ,
कीर्त्तन और अरदास से प्यारी माँ कि बोली लगती है ।
माँ कि कड़वी बातें भी मुझे मीठी गोली लगती है ।
माँ जब रूठ के कहती हैं जा मुझसे बात ही मत करना ,
माँ के गुस्से में मुझको इक छिपी ठिठोली लगती है ।
कभी बिमारी में जब कोई दवा असर कम करता है ,
माँ कि दुआ से भरी- पूरी तब मेरी झोली लगती है ।
मंदिर - मस्जिद सब के सब मिलते हैं माँ कि आंचल में ,
कीर्त्तन और अरदास से प्यारी माँ कि बोली लगती है ।
Thursday, January 16, 2014
मेरी तकदीर में लिखा ही न था
मेरी तकदीर में लिखा ही न था ,
तू मेरा होके भी मेरा ही न था ।
मैंने समझा मैं तेरे दिल कि लगी ,
दिल्लगी थी ये, दिल लगा ही न था ।
ख़ामख़ा खाब सजाने में रात बीती थी ,
जाग के देखा कुछ हुआ ही न था ।
डोलती रह गई किनारे पे ,
दूर जाना था रास्ता ही न था ।
खेली बाजी वो हारती ही रही ,
जाने क्यूँ हमको जितना ही न था ।
इक तुझे मांगने के बाद सनम ,
मांगने को भी कुछ बचा ही न था ।
मैं तेरी राह में खड़ी थी मगर ,
तू मेरे रास्ते चला ही न था ।
तू किसी और कि दुआओं में था ,
तू मेरे वास्ते बना ही न था ।
तू मेरा होके भी मेरा ही न था ।
मैंने समझा मैं तेरे दिल कि लगी ,
दिल्लगी थी ये, दिल लगा ही न था ।
ख़ामख़ा खाब सजाने में रात बीती थी ,
जाग के देखा कुछ हुआ ही न था ।
डोलती रह गई किनारे पे ,
दूर जाना था रास्ता ही न था ।
खेली बाजी वो हारती ही रही ,
जाने क्यूँ हमको जितना ही न था ।
इक तुझे मांगने के बाद सनम ,
मांगने को भी कुछ बचा ही न था ।
मैं तेरी राह में खड़ी थी मगर ,
तू मेरे रास्ते चला ही न था ।
तू किसी और कि दुआओं में था ,
तू मेरे वास्ते बना ही न था ।
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